ओटावा। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त चेतावनी आखिरकार रंग लाई है। कनाडा ने अपने विवादित डिजिटल सेवा कर (Digital Services Tax) को अचानक रद्द करने का ऐलान कर दिया है। यह कर गूगल, मेटा, अमेजन, उबर और एयरबीएनबी जैसी अमेरिकी टेक दिग्गजों से कनाडाई यूजर्स के राजस्व पर 3% टैक्स वसूलने की योजना थी। अनुमान के मुताबिक इससे अमेरिकी कंपनियों को हर महीने करीब 2 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ता।
सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह फैसला ट्रंप द्वारा अमेरिका-कनाडा व्यापार वार्ता को रद्द करने की चेतावनी के बाद लिया गया है। दिलचस्प बात यह है कि यह फैसला टैक्स लागू होने से सिर्फ एक दिन पहले लिया गया है, जिससे साफ झलकता है कि दबाव कितना गहरा था।
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने बयान में कहा, “आज की घोषणा जी-7 सम्मेलन से पहले अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता को दोबारा शुरू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” वहीं, देश के वित्त मंत्री फ्रेंकोइस-फिलिप शैम्पेन ने माना कि डिजिटल टैक्स हटाना अमेरिका के साथ नई आर्थिक और सुरक्षा साझेदारी की शुरुआत को आसान बनाएगा।
यह यू-टर्न इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि कुछ हफ्ते पहले तक कनाडाई अधिकारी अडिग थे कि वे अमेरिकी दबाव में नहीं झुकेंगे। डिजिटल टैक्स 2020 में पेश किया गया था, जिसका मकसद टेक कंपनियों से कर राजस्व बढ़ाना था।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के फिर से सत्तारूढ़ होने की संभावना और उनके पुराने बयानों ने कनाडा को सतर्क कर दिया है। ट्रंप पहले भी कनाडा को लेकर तीखी टिप्पणियां कर चुके हैं – यहां तक कि इसे “अमेरिकी राज्य” बनाने तक की बात कह चुके हैं। इसके बाद कनाडा को स्टील और एल्युमिनियम पर भारी अमेरिकी टैरिफ का सामना करना पड़ा था।
हालांकि इन टैरिफ पर 9 जुलाई तक अस्थायी राहत है, लेकिन खतरा अब भी टला नहीं है। ऐसे में डिजिटल टैक्स की वापसी को ट्रंप प्रशासन से रिश्ते सुधारने की रणनीति माना जा रहा है।
निष्कर्ष: कनाडा का यह कदम न सिर्फ अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव को कम करने की दिशा में उठाया गया है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे वैश्विक राजनीति में बड़े नेता टैक्स नीतियों को भी प्रभावित कर सकते हैं।