लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत में आज बड़ा धमाका हुआ, जब समाजवादी पार्टी (सपा) ने अनुशासनहीनता पर सख्त रुख अपनाते हुए अपने तीन विधायकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर गोशाईगंज से अभय सिंह, गौरीगंज से राकेश प्रताप सिंह और ऊंचाहार से मनोज कुमार पांडेय को निष्कासित कर दिया गया है।
इस कार्रवाई की जानकारी सपा ने अपने आधिकारिक ‘X’ (पूर्व ट्विटर) हैंडल से साझा की। पोस्ट में कहा गया है कि इन नेताओं ने समाजवादी पार्टी की “सौहार्दपूर्ण, सकारात्मक विचारधारा” के विपरीत जाकर सांप्रदायिक, विभाजनकारी और ‘पीडीए विरोधी’ विचारधारा का साथ दिया। पार्टी ने लिखा, “जनहित में इन विधायकों को पार्टी से निष्कासित किया जा रहा है।”
सपा ने यह भी स्पष्ट किया कि इन विधायकों को पहले ‘हृदय परिवर्तन’ का अवसर भी दिया गया था, लेकिन तय समयसीमा बीत जाने के बाद यह निर्णय लिया गया। पार्टी ने चेतावनी देते हुए कहा, “भविष्य में ‘जन-विरोधी’ लोगों के लिए समाजवादी पार्टी में कोई स्थान नहीं होगा। पार्टी की मूल विचारधारा के विरुद्ध जाने वाले किसी भी व्यक्ति को क्षमा नहीं किया जाएगा।”
इस पूरे घटनाक्रम की जड़ राज्यसभा चुनाव से जुड़ी है। आरोप है कि इन तीनों विधायकों ने उस दौरान पार्टी लाइन से हटकर भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। यही नहीं, चुनाव के बाद भी ये लगातार भाजपा के करीब जाते दिखे—कभी उसके कार्यक्रमों में शामिल होकर, तो कभी सपा की बैठकों से दूरी बनाकर।
हालांकि, विधायकी से अब तक इनका इस्तीफा या निष्कासन विधानसभा की ओर से नहीं हुआ है, लिहाजा तकनीकी रूप से ये अभी भी सपा विधायक हैं, जब तक कि कोई औपचारिक विधायी प्रक्रिया पूरी नहीं होती।
सपा का यह कदम न सिर्फ पार्टी के अंदर अनुशासन का संदेश देता है, बल्कि उन नेताओं के लिए भी चेतावनी है जो अवसरवादी राजनीति के फेर में विचारधारा से भटकते हैं। अंत में पार्टी ने अपने पोस्ट में नसीहत भी दी—“जहां रहें, विश्वसनीय रहें।”
अब देखने वाली बात यह होगी कि निष्कासित विधायक अगला राजनीतिक कदम क्या उठाते हैं—क्या वे भाजपा में शामिल होंगे, या कोई अलग सियासी राह चुनेंगे।