नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में इस हफ्ते विदेशी निवेशकों ने फिर भरोसा जताया है। आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने जबरदस्त दिलचस्पी दिखाई और मात्र तीन कारोबारी दिनों में 3,346.94 करोड़ रुपये की पूंजी भारतीय इक्विटी बाजार में झोंक दी।
रेपो रेट में कटौती बना गेम चेंजर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती कर उसे 5.5% पर लाना निवेशकों को रास आया। इसे बाजार में तरलता बढ़ाने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक साहसिक कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला एफपीआई के लिए बड़ा संकेत बना कि भारतीय अर्थव्यवस्था में आगे अच्छी ग्रोथ की उम्मीद है।
एफपीआई का भरोसा, लगातार बढ़ता निवेश
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के आंकड़ों के मुताबिक, 9 से 13 जून तक के कारोबारी सत्रों में एफपीआई लगातार खरीदार बने रहे। दिलचस्प बात यह है कि मई महीने में भी विदेशी निवेशकों ने 19,860 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो अब तक का साल का सर्वश्रेष्ठ आंकड़ा है।
अंतरराष्ट्रीय तनाव ने बाजार को डगमगाया
हालांकि, हफ्ते के आखिरी दिनों में कुछ वैश्विक घटनाओं ने बाजार की चाल बिगाड़ दी। अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता में शुरूआती प्रगति के बाद निवेशकों को राहत जरूर मिली, लेकिन इजरायल द्वारा ईरान की परमाणु साइट्स पर किए गए हमलों से एक बार फिर अनिश्चितता का माहौल बन गया।
इस घटना से वैश्विक बाजारों में घबराहट फैली, जिससे निवेशक सोना और अमेरिकी बॉन्ड जैसी सुरक्षित परिसंपत्तियों की ओर भागने लगे। साथ ही, कच्चे तेल की कीमतें भी $76 प्रति बैरल के पार पहुंच गईं, जिससे आपूर्ति संकट को लेकर नई चिंताएं गहराईं।
भारत बना निवेशकों का पसंदीदा ठिकाना
इन सबके बावजूद, भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद, नीति समर्थन और विकास की गति देश को विदेशी निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाए हुए है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अगर नीतिगत स्थिरता और आर्थिक सुधारों की रफ्तार बरकरार रही, तो विदेशी निवेश की यह लहर आगे भी जारी रह सकती है।