नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहे हैं—वे पहली बार अफ्रीकी देश नामीबिया की यात्रा पर जाएंगे। यह दौरा न केवल दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊर्जा देगा, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक सहयोग के दरवाजे भी और चौड़े करेगा।
यह यात्रा कई मायनों में खास है। पीएम मोदी नामीबिया की नव-निर्वाचित राष्ट्रपति नेटुम्बो नांदी-नदाइटवाह से मुलाकात करने वाले पहले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष होंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार, मोदी 9 जुलाई को नामीबिया पहुंचेंगे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की तीसरी आधिकारिक यात्रा होगी, लेकिन खुद मोदी की यह पहली नामीबिया यात्रा होगी।
मोदी का यह दौरा उनके पांच देशों के विस्तृत अंतरराष्ट्रीय दौरे का अंतिम पड़ाव होगा। इससे पहले वे घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना और ब्राजील का दौरा कर चुके होंगे।
नामिबिया में पीएम मोदी राष्ट्रपति से उच्चस्तरीय वार्ता करेंगे, देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. सैम नुजोमा को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और संसद को संबोधित करने की संभावना भी है।
भारत और नामीबिया के बीच आर्थिक सहयोग भी नए मुकाम की ओर बढ़ रहा है। फिलहाल दोनों देशों के बीच व्यापार करीब 600 मिलियन डॉलर का है, जिसमें भारत को हल्का लाभ है। भारत अब तक नामीबिया में 800 मिलियन डॉलर का निवेश कर चुका है, खासतौर पर खनिज संसाधन, जिंक और हीरा प्रसंस्करण क्षेत्रों में।
इतिहास भी इन दोनों देशों को गहराई से जोड़ता है। भारत ने 1946 में ही नामीबिया की आज़ादी का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया था। 1986 में नामीबिया ने अपना पहला विदेशी मिशन नई दिल्ली में खोला था, जो आपसी भरोसे की मिसाल बना।
हाल के वर्षों में भारत और नामीबिया की साझेदारी ने और भी दिलचस्प मोड़ लिए हैं। कुनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों को बसाना इसका प्रतीक है। इसके अलावा, डिजिटल भुगतान प्रणाली यूपीआई को लेकर भी दोनों देशों के बीच समझौता हुआ है, जिसे पीएम मोदी की यात्रा के दौरान और मजबूती मिल सकती है।
नामीबिया यूरेनियम, लिथियम, कोबाल्ट, ग्रेफाइट और टैंटलम जैसे खनिजों से समृद्ध है, जो भारत की ऊर्जा और तकनीकी जरूरतों के लिहाज से बेहद अहम हैं। हाल में खोजे गए नए तेल भंडारों को देखते हुए ऊर्जा क्षेत्र में नई साझेदारी की उम्मीद जताई जा रही है।
पीएम मोदी की यह यात्रा पर्यावरण, जैव विविधता, रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यापार और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग को नया विस्तार देगी। दो मजबूत लोकतंत्रों के बीच यह मुलाकात भविष्य की साझेदारी की नींव को और मजबूत बनाएगी।