MP में चीतों का नया ठिकाना! गांधी सागर अभयारण्य में आज दो चीते होंगे रिहा, मुख्यमंत्री मोहन यादव करेंगे शुभारंभ

भोपाल: मध्य प्रदेश में वन्यजीव प्रेमियों के लिए बड़ी खुशखबरी! देश की महत्वाकांक्षी “चीता प्रोजेक्ट” को नई उड़ान मिलने जा रही है। कूनो नेशनल पार्क के बाद अब गांधी सागर अभयारण्य चीतों का नया आशियाना बनने जा रहा है। इसी कड़ी में आज मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंदसौर जिले के गांधी सागर अभयारण्य में दो चीतों को उनके नए घर में छोड़ेंगे।

वन्यजीव संरक्षण को नई रफ्तार

जनसंपर्क अधिकारी केके जोशी ने जानकारी दी कि गांधी सागर मध्य प्रदेश का दूसरा ऐसा वन क्षेत्र होगा जहां चीतों को फिर से बसाया जा रहा है। यह कदम न सिर्फ वन्यजीव संरक्षण को मजबूती देगा, बल्कि देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए भी एक रोमांचक आकर्षण बनेगा।

दक्षिण अफ्रीका, केन्या और बोत्सवाना से आएंगे मेहमान चीते

राज्य सरकार का उद्देश्य है कि मध्य प्रदेश के जंगलों में चीतों की दहाड़ फिर से गूंजे। इसके लिए दक्षिण अफ्रीका, केन्या और बोत्सवाना से चीते लाकर यहां बसाए जा रहे हैं। फिलहाल श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में 26 चीते मौजूद हैं। मई 2025 तक बोत्सवाना से चार और चीते आएंगे, और इसके बाद चार और की आमद तय है।

राज्यों की साझेदारी से बनेगा इंटरस्टेट चीता कॉरिडोर

मध्य प्रदेश और राजस्थान मिलकर एक अंतरराज्यीय चीता संरक्षण परिसर भी स्थापित करने जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट पर अब तक 112 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जिसमें से 67% राशि केवल मध्य प्रदेश में चीता पुनर्वास पर लगी है। यह परियोजना न सिर्फ विलुप्त हो चुके एशियाई चीतों की वापसी का प्रतीक है, बल्कि “प्रकृति से प्रगति और प्रगति से प्रकृति” के मूल मंत्र की दिशा में बड़ा कदम है।

गांधी सागर: जहां प्रकृति और इतिहास का संगम होता है

गांधी सागर अभयारण्य, जो मंदसौर और नीमच जिलों में फैला है, साल 1984 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। सलाई, तेंदू, पलाश जैसे पेड़ों से भरपूर यह इलाका ऐतिहासिक चतुर्भुज नाला और चतुर्भुजनाथ मंदिर जैसे सांस्कृतिक स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है।

यह क्षेत्र जंगली कुत्ते, चिंकारा, ऊदबिलाव, मगरमच्छ, तेंदुआ और चित्तीदार हिरण जैसे दुर्लभ जीवों का घर है। अब चीते भी इस जैव विविधता में अपनी दहाड़ जोड़ने वाले हैं।

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