नई दिल्ली/वॉशिंगटन। भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित अंतरिम व्यापार समझौते को लेकर वॉशिंगटन डीसी में गहमागहमी तेज हो गई है। Reciprocal Tariff (प्रतिशोधी शुल्क) की समयसीमा नजदीक आने के साथ ही दोनों देशों के अधिकारी अंतिम समय में समझौते को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं।
भारत की ओर से बातचीत की कमान विशेष सचिव राजेश अग्रवाल संभाल रहे हैं। भारतीय टीम इन दिनों अमेरिका में ज्यादा समय बिता रही है, जिससे संकेत मिलते हैं कि समझौते को लेकर गहन और निर्णायक दौर की वार्ता चल रही है। अधिकारियों का कहना है कि यह समझौता भारत-अमेरिका व्यापार को 2030 तक दोगुना कर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है।
भारत जहां अपने श्रम-प्रधान उत्पाद—जैसे कपड़ा, चमड़ा, जूते और समुद्री उत्पाद—के लिए अमेरिकी बाजार में अधिक पहुंच चाहता है, वहीं अमेरिका कृषि और डेयरी उत्पादों पर शुल्क छूट की मांग कर रहा है। मसाले, कॉफी और रबर जैसे उत्पादों को भी अमेरिकी टैरिफ से राहत दिलाने की भारत की कोशिशें जारी हैं।
सूत्रों की मानें तो भारत ने अमेरिका से तेल और गैस की खरीद पहले ही बढ़ा दी है और व्यापार घाटा कम करने के प्रयासों के तहत इन खरीदों में और इजाफा करने का प्रस्ताव भी रखा है।
वर्तमान बातचीत का केंद्र Reciprocal Tariff में कटौती या उन्हें हटाने पर है। भारत की तरफ से यह भी प्रस्ताव दिया गया है कि ट्रंप प्रशासन के दौरान लगाए गए टैरिफ की भरपाई के तौर पर औसत शुल्क दर को 13% से घटाकर 4% किया जा सकता है।
9 जुलाई की समयसीमा से पहले इस अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की पूरी कोशिश की जा रही है, ताकि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ पर 90 दिनों की रोक का लाभ उठाया जा सके। उम्मीद की जा रही है कि सितंबर-अक्टूबर में एक व्यापक व्यापार समझौते पर भी हस्ताक्षर हो सकते हैं।
इस बीच दोनों देश आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए तैयार दिख रहे हैं—जहां एक ओर रणनीतिक सहयोग बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर अब व्यापार मोर्चे पर भी बड़े फैसलों की बारी है।