IMA पासिंग आउट परेड: 419 कैडेट बने भारतीय सेना का अभिमान, श्रीलंका के जनरल ने ली सलामी

देहरादून। भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) की ऐतिहासिक धरती पर आज सुबह गर्व, अनुशासन और समर्पण की मिसाल पेश करती भव्य पासिंग आउट परेड का आयोजन हुआ। चेटवुड बिल्डिंग के सामने ड्रिल स्क्वायर पर जैसे ही आर्मी बैंड की धुन बजी, पूरा परिसर राष्ट्रभक्ति की भावना से गूंज उठा।

इस गौरवशाली समारोह में 451 जेंटलमैन कैडेट्स ने अंतिम पग पार करते हुए सैन्य सेवा में कदम रखा, जिनमें से 419 जांबाज भारतीय सेना का हिस्सा बने। वहीं, 32 कैडेट्स मित्र देशों की सेनाओं को समर्पित किए गए। मुख्य अतिथि के रूप में श्रीलंका सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बी.के.जी.एम. लसंथा रोड्रिगो ने परेड की सलामी ली और उभरते योद्धाओं को शुभकामनाएं दीं।

अद्वितीय परेड, गर्व के क्षण

सुबह के पहले उजाले के साथ जैसे ही “एडवांस कॉल” बजी, कंपनी सार्जेंट मेजरों की कमान में कैडेट्स दृढ़ संकल्प के साथ मैदान में उतरे। ‘मार्कर्स कॉल’ के साथ परेड का शुभारंभ हुआ और जल्द ही पूरा ड्रिल स्क्वायर कदमताल की गूंज से भर गया। दर्शक दीर्घा में मौजूद हजारों आंखें इन क्षणों को संजो रही थीं। गर्व से तने कंधे और अनुशासन से उठते कदम हर एक दर्शक के मन में देशभक्ति का संचार कर रहे थे।

शपथ लेकर बने सेना का हिस्सा

परेड के उपरांत आयोजित “पीपिंग एंड ओथ सेरेमनी” में कैडेट्स ने वर्दी पर सितारे सजाए और मातृभूमि की रक्षा की शपथ ली। इन 451 जेंटलमैन कैडेट्स में से 419 भारतीय थलसेना का हिस्सा बन गए, जबकि 32 विदेशी कैडेट्स अपने-अपने देशों की सेनाओं में सेवा देने के लिए तैयार हैं। यह दृश्य ना केवल गर्व से भरा था, बल्कि आने वाले सैन्य नेतृत्व की ताकत का प्रतीक भी बना।

पुष्पवर्षा और सम्मान

मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल लसंथा रोड्रिगो ने परेड का निरीक्षण करते हुए उत्कृष्ट कैडेट्स को सम्मानित किया और उन्हें श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए बधाई दी। इस मौके पर सेना के हेलीकॉप्टरों से पुष्पवर्षा की गई, जिससे समूचा परिसर उत्सव में डूब गया। खास बात यह रही कि लेफ्टिनेंट जनरल रोड्रिगो भी वर्ष 1990 में आईएमए के 87वें कोर्स से पास आउट हुए थे। उन्होंने अकादमी से जुड़ी अपनी भावनाओं और यादों को भी साझा किया, जो कैडेट्स के लिए प्रेरणादायक रहा।

गौरवशाली इतिहास, उज्ज्वल भविष्य

भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना 1 अक्टूबर 1932 को हुई थी। पहले बैच में जहां महज 40 कैडेट्स ने प्रशिक्षण प्राप्त किया था, वहीं आज यह संख्या 1660 तक पहुंच चुकी है। पिछले नौ दशकों में IMA ने 65,000 से अधिक सैन्य अधिकारियों को तैयार किया है, जिनमें सैकड़ों विदेशी कैडेट्स भी शामिल रहे हैं। IMA सिर्फ एक प्रशिक्षण केंद्र नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण की प्रयोगशाला बन चुका है।

विशिष्ट जनों की उपस्थिति

समारोह में सेना के वरिष्ठ अधिकारी जैसे लेफ्टिनेंट जनरल देवेन्द्र शर्मा, समादेशक लेफ्टिनेंट जनरल नागेन्द्र सिंह और मुख्य प्रशिक्षक मेजर जनरल आलोक नरेश भी मौजूद रहे। साथ ही कैडेट्स के परिजन, देश-विदेश के गणमान्य अतिथि और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने। सुरक्षा को लेकर दून पुलिस ने पूरे कार्यक्रम के दौरान पुख्ता इंतजाम किए थे।

निष्कर्ष

IMA की यह पासिंग आउट परेड न केवल नए सैन्य अधिकारियों के जन्म की साक्षी बनी, बल्कि देश की रक्षा की शपथ लेने वाले योद्धाओं के जज्बे और अनुशासन की मिसाल भी पेश कर गई। यह दिन ना केवल देहरादून के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक गर्व का पल बन गया।

RASHIFAL, horoscope, RASHI

14 जून 2025- आज का राशिफल

AMIT SHAH

पचमढ़ी में भाजपा का रणनीतिक मंथन शुरू: अमित शाह ने किया प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ, मोबाइल पर लगी रोक