भारत सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) प्रणाली को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। यह नया नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा, जिससे राज्य सरकारों को साझा सेवाओं पर उचित टैक्स संग्रह में मदद मिलेगी, विशेष रूप से उन सेवाओं के लिए जो किसी एक स्थान से संचालित होती हैं।
क्या है इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) प्रणाली?
ISD प्रणाली के तहत, वह व्यवसाय जो कई राज्यों में संचालित होते हैं, अपने साझा इनपुट सेवाओं (घरेलू या आयातित) के चालान को मुख्यालय या किसी एक शाखा में केंद्रीकृत कर सकते हैं। इस व्यवस्था से इन सेवाओं पर प्राप्त इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को सही तरीके से उन शाखाओं में वितरित किया जाएगा, जो इनका उपयोग करती हैं।
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्या है?
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) वह कर है, जो व्यवसाय अपनी खरीद पर चुकाते हैं और जिसे अपने आउटपुट टैक्स देयता (output tax liability) से घटा सकते हैं। यह केवल व्यापारिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की गई वस्तुओं या सेवाओं पर भुगतान किए गए GST के लिए मान्य होता है। ITC के सही उपयोग से व्यवसायों की कुल टैक्स देयता में कमी आती है।
नए ISD सिस्टम के प्रमुख बदलाव
✅ ISD प्रणाली अनिवार्य होगी:
अब व्यवसायों को ITC के वितरण के लिए केवल ISD प्रणाली का उपयोग करना होगा। पहले उपयोग की जाने वाली ‘क्रॉस-चार्ज’ (cross-charge) पद्धति अब मान्य नहीं होगी।
🚫 ISD के बिना ITC का दावा नहीं:
यदि कोई व्यवसाय ISD प्रणाली का उपयोग नहीं करता है, तो वह संबंधित स्थानों पर ITC का दावा नहीं कर सकेगा।
⚠️ गलत ITC वितरण पर दंड:
यदि कोई व्यवसाय ITC का गलत तरीके से वितरण करता है, तो उसे जुर्माने और ब्याज का भुगतान करना होगा। इसमें ₹10,000 या गलत वितरित ITC की राशि (जो भी अधिक हो) का दंड शामिल होगा।
व्यवसायों के लिए आवश्यक तैयारी
इस ISD प्रणाली का उद्देश्य राज्यों के बीच ITC के पारदर्शी और निष्पक्ष वितरण को सुनिश्चित करना है। व्यवसायों को सलाह दी जाती है कि वे 1 अप्रैल 2025 से पहले अपनी कर अनुपालन प्रक्रियाओं को अपडेट कर लें, ताकि नए नियमों के तहत किसी भी समस्या से बचा जा सके।