वॉशिंगटन/तेहरान। अमेरिका द्वारा ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों पर रविवार को किए गए हवाई हमलों ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। वैश्विक स्तर पर इन हमलों को लेकर चिंता, नाराजगी और तनाव कम करने की अपीलों का सैलाब आ गया है। अधिकांश देशों ने दो टूक कहा है—इस आग को अब बढ़ने नहीं देना चाहिए, कूटनीति ही समाधान है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने हालात को “बेहद चिंताजनक” बताते हुए चेतावनी दी कि यह संघर्ष अब काबू से बाहर जा सकता है, जिससे न केवल आम नागरिकों की जान खतरे में पड़ेगी बल्कि पूरी दुनिया अस्थिर हो सकती है। उन्होंने साफ कहा, “इस संकट का कोई सैन्य हल नहीं, केवल कूटनीति ही रास्ता है।”
ब्रिटेन, रूस, चीन, सऊदी अरब समेत पूरी दुनिया चिंतित
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने जहां ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर सवाल उठाए, वहीं अमेरिका के हमलों से खुद को अलग रखते हुए बातचीत की वापसी को ज़रूरी बताया। उन्होंने कहा, “ईरान को परमाणु हथियार नहीं मिलना चाहिए, यह वैश्विक सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है।”
रूस ने अमेरिका की कार्रवाई को “अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन” बताया। सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने आरोप लगाया कि कुछ देश खुद ईरान को हथियार देने को तैयार हैं, ऐसे में अमेरिकी हमले नाकाम साबित होंगे।
मध्य पूर्व में गूंज उठा गुस्सा, हूती और हमास ने दी चेतावनी
ईरान समर्थक हूती विद्रोहियों और हमास ने इन हमलों को “इस्लामी दुनिया पर जायोनिस्ट-अमेरिकी घमंड” करार देते हुए “जिहाद” की चेतावनी दी है। वहीं, लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन ने कहा कि “यह हमला एक ऐसा क्षेत्रीय युद्ध छेड़ सकता है जिसे कोई देश झेल नहीं सकता।”
इराक ने अमेरिका की कार्रवाई को क्षेत्रीय शांति के लिए “गंभीर खतरा” बताते हुए कहा कि यह टकराव एक देश की सीमाओं से बाहर फैल सकता है। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी और सऊदी अरब ने भी तनाव घटाने और संयम बरतने की अपील की।
एशिया-लैटिन अमेरिका से लेकर यूरोप तक गूंजा विरोध
चीन ने अमेरिका पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि इस कार्रवाई से मध्य पूर्व और ज्यादा अस्थिर होगा। उसने तुरंत संघर्ष विराम और वार्ता की अपील की। यूरोपीय संघ ने संयम का संदेश देते हुए कहा कि “परमाणु हथियारों से बचना जरूरी है, लेकिन रास्ता सिर्फ कूटनीति से ही निकलेगा।”
जापान ने भी हमलों से दूरी बनाते हुए शांति और बातचीत पर जोर दिया। आयरलैंड और इटली जैसे ईयू सदस्य देशों ने इन हमलों को “अस्थिरता पैदा करने वाला कदम” बताया।
लैटिन अमेरिकी देशों—वेनेज़ुएला, मेक्सिको, कोलंबिया और चिली ने अमेरिका की कार्रवाई को “अवैध और खतरनाक” करार दिया है, जबकि अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली ने खुला समर्थन देते हुए कहा, “आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
पाकिस्तान और कतर भी बोले—अब और नहीं!
पाकिस्तान ने इस कार्रवाई को “गंभीर रूप से परेशान करने वाला” बताते हुए ईरान के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया। वहीं कतर ने कहा, “अब इस क्षेत्र के लोग और अधिक मानवीय संकट नहीं झेल सकते।”
दुनिया भर से आती इन तीखी प्रतिक्रियाओं के बीच यह स्पष्ट होता जा रहा है कि अब समय आ गया है जब सैन्य कार्रवाई की जगह शांतिपूर्ण समाधान को प्राथमिकता दी जाए। वैश्विक मंच पर एक ही आवाज गूंज रही है—“युद्ध नहीं, बातचीत!”