नई दिल्ली। कनाडा के कनानास्किस में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया को सख्त संदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो देश आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं या उसे पनाह देते हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। मोदी ने कहा कि आतंक केवल एक देश की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की समस्या है — “पहलगाम हमला सिर्फ भारत पर हमला नहीं, यह समूची मानवता पर वार था।”
जैसे ही ईरान-इजराइल संघर्ष वैश्विक चिंता का विषय बना हुआ है, पीएम मोदी ने जोर दिया कि ऐसे संघर्षों का सबसे ज्यादा खामियाजा ग्लोबल साउथ यानी विकासशील देशों को उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा, “भारत ने इन देशों की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने का जिम्मा लिया है।”
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर अमेरिका दौरे पर हैं और राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने वाले हैं। ऐसे में मोदी का आतंकवाद पर यह सख्त रुख कूटनीतिक लिहाज से भी अहम माना जा रहा है।
ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास पर भारत का दृष्टिकोण
‘ऊर्जा सुरक्षा’ विषय पर हुई चर्चा में प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती बनने वाली है। उन्होंने इस दिशा में भारत के समावेशी दृष्टिकोण — उपलब्धता, पहुंच, सामर्थ्य और स्वीकार्यता — को विस्तार से बताया। साथ ही उन्होंने बताया कि भारत ने न केवल पेरिस समझौते की शर्तें समय से पहले पूरी कीं, बल्कि ग्रीन फ्यूचर के लिए कई वैश्विक पहलों की अगुवाई भी की है — जैसे इंटरनेशनल सोलर अलायंस, ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस, वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड।
मोदी ने तकनीक और एआई पर भी जोर देते हुए कहा कि टेक्नोलॉजी तभी प्रभावी मानी जाएगी, जब वह आम जनता के जीवन को बेहतर बनाए। उन्होंने भारत के मानव-केंद्रित तकनीकी दृष्टिकोण की भी सराहना की।
ग्लोबल मंच पर एक बार फिर भारत की दमदार उपस्थिति
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के अंत में कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी को आमंत्रण के लिए धन्यवाद दिया और G7 की 50वीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं दीं। यह सम्मेलन एक बार फिर साबित करता है कि भारत न केवल वैश्विक मुद्दों पर अपनी मजबूत राय रख रहा है, बल्कि विकासशील देशों की आवाज बनकर उभर रहा है।