वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ के गौना उत्सव (रंगभरी एकादशी) की पूर्व संध्या पर रविवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम में पारंपरिक हल्दी की रस्म पूरी श्रद्धा और भव्यता के साथ संपन्न हुई। इस शुभ अवसर पर धाम में भक्ति, उल्लास और आस्था का अद्वितीय संगम देखने को मिला, जिससे काशी की गलियां भक्तिमय वातावरण से गूंज उठीं।
उत्सव की शुरुआत प्रातः श्री कृष्ण जन्मस्थल, मथुरा से बाबा विश्वनाथ के लिए भेजी गई हर्बल अबीर-गुलाल और उपहार सामग्री के आगमन से हुई। साथ ही, सोनभद्र से आए वनवासी समाज के भक्तों द्वारा भेंट किए गए पलाश के फूलों से निर्मित हर्बल गुलाल को भी बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में अर्पित किया गया। इस अनुष्ठान का नेतृत्व मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र और डिप्टी कलेक्टर शम्भु शरण ने किया, जिन्होंने विधि-विधान से पूजन कर हर्बल गुलाल अर्पित किया, जिससे पूरा गर्भगृह भक्तिरस से सराबोर हो गया।
पूजन के उपरांत, बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा की भव्य पालकी यात्रा निकाली गई, जो मंदिर चौक से होकर गुजरी। इस अलौकिक दृश्य ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। हजारों भक्तों ने इस यात्रा में भाग लेते हुए बाबा विश्वनाथ और मां गौरा की प्रतिमा पर हल्दी अर्पित की। हल्दी की इस रस्म को सौभाग्य, मंगलकामना और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
इस भव्य आयोजन में मथुरा से आए भक्तों, श्री कृष्ण जन्मस्थली से उपहार लेकर आए श्रद्धालुओं, इतिहासकार एवं लेखक विक्रम सम्पत और वनवासी समाज के भक्तों ने विशेष रूप से भाग लिया। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के इस अद्भुत संगम ने काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक एकता को और अधिक सशक्त किया।
मंदिर न्यास के अनुसार, यह आयोजन न केवल भक्तों के बीच एकता और आस्था को प्रगाढ़ करता है, बल्कि काशी की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का भी एक प्रयास है। रंगभरी एकादशी महोत्सव का उद्देश्य धार्मिक परंपराओं को पुनर्जीवित करना और काशी की सनातन संस्कृति को जन-जन तक पहुँचाना है।
तीन दिवसीय लोक उत्सव की भव्यता
इस वर्ष रंगभरी एकादशी को त्रिदिवसीय लोक उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। शनिवार को बाबा विश्वनाथ एवं मां गौरा की चल प्रतिमा को शास्त्रीय अर्चना के साथ मंदिर चौक में शिवार्चनम् मंच के निकट तीन दिनों के लिए विराजमान किया गया। इस विशेष आयोजन का उद्देश्य श्रद्धालुओं के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाना है।
काशी की सांस्कृतिक विरासत का उत्सव
गौना उत्सव के माध्यम से काशी की प्राचीन परंपराएं और संस्कृति पुनर्जीवित हो रही हैं। यह महोत्सव न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि काशी की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का भी एक प्रयास है। श्री काशी विश्वनाथ का गौना उत्सव, काशी की आस्था, संस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रतीक है, जो श्रद्धालुओं को काशी की आध्यात्मिक ऊर्जा का दिव्य अनुभव कराता है।