काठमांडू। नेपाल में स्वास्थ्य संकट गहराता जा रहा है। नेपाल मेडिकल एसोसिएशन (एनएमए) की अगुवाई में सोमवार से शुरू हुई राष्ट्रव्यापी डॉक्टरों की हड़ताल ने पूरे देश की चिकित्सा व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। आपातकालीन सेवाओं को छोड़ बाकी सभी चिकित्सा सेवाएं पूरी तरह ठप हैं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
यह हड़ताल उपभोक्ता अदालतों के हालिया फैसलों के खिलाफ शुरू की गई है, जिनमें डॉक्टरों और निजी अस्पतालों को चिकित्सा लापरवाही के मामलों में करोड़ों रुपये के मुआवज़े भरने के आदेश दिए गए थे। डॉक्टरों का कहना है कि इन फैसलों से नेपाल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) जैसे नियामक संस्थानों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
एनएमए का कहना है कि चिकित्सा नैतिकता और पेशेवर जिम्मेदारियों पर फैसला लेने का अधिकार केवल एनएमसी को होना चाहिए, न कि उपभोक्ता अदालतों को। विरोध की चिंगारी तब भड़की जब काठमांडू के ओम अस्पताल पर 50 लाख रुपये, हिमालय अस्पताल और उसके डॉक्टरों पर 1.45 करोड़ रुपये और ग्रांडी सिटी अस्पताल पर 57 लाख रुपये का मुआवज़ा ठोका गया।
एनएमए के महासचिव ने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार ने जल्द कानून में संशोधन कर मेडिकल काउंसिल को ही इन मामलों का अंतिम अधिकार नहीं दिया, तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।
इस हड़ताल के चलते अस्पतालों में लंबी कतारें, रद्द की गई सर्जरी और परेशान परिजन – यह सब दर्शाता है कि नेपाल की स्वास्थ्य व्यवस्था एक बड़े संकट के मुहाने पर खड़ी है।