नई दिल्ली। भारत के ऑफिस रियल एस्टेट सेक्टर ने 2025 की पहली छमाही में जबरदस्त तेजी दिखाई है। देश के टॉप आठ शहरों में ऑफिस स्पेस की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है, और इसी के चलते अप्रैल-जून तिमाही में ग्रॉस लीजिंग वॉल्यूम 21.4 मिलियन स्क्वायर फीट (एमएसएफ) तक पहुंच गया है। यह तिमाही आधार पर 5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्शाता है, जो ऑफिस बाजार की मजबूती का संकेत है।
कुशमैन एंड वेकफील्ड की नई रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 की पहली छमाही में कुल ग्रॉस लीजिंग 42 एमएसएफ तक पहुंच चुकी है। यह आंकड़ा इशारा करता है कि भारतीय ऑफिस रियल एस्टेट मार्केट इस साल 90 मिलियन स्क्वायर फीट की वार्षिक लीजिंग गतिविधि के नए बेंचमार्क को छूने की ओर बढ़ रहा है। यह ट्रेंड 2024 के ऐतिहासिक 89 एमएसएफ के आंकड़े के बाद देखने को मिल रहा है और संकेत देता है कि 2025 लगातार दूसरा साल होगा जब ग्रॉस लीजिंग 85 एमएसएफ से ऊपर रहेगी।
इस मजबूत प्रदर्शन की नींव वैश्विक और घरेलू कंपनियों की बढ़ती मांग पर टिकी है। ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCC), आईटी-बीपीएम फर्म्स, फ्लेक्स स्पेस प्रोवाइडर्स, बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर, साथ ही इंजीनियरिंग व मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां लीजिंग ग्रोथ को रफ्तार दे रही हैं।
लीजिंग वॉल्यूम का मतलब केवल नए ऑफिस स्पेस की डील्स नहीं है, बल्कि इसमें कंपनियों द्वारा अपने स्पेस का रिन्यूअल और पहले से तय प्री-लीजिंग सौदे भी शामिल हैं।
अगर शहरों की बात करें, तो बेंगलुरु ने 5.0 एमएसएफ के साथ लीड किया, जबकि दिल्ली-एनसीआर ने 4.6 एमएसएफ और मुंबई ने 3.9 एमएसएफ लीजिंग की। इन तीनों शहरों ने मिलकर कुल तिमाही लीजिंग का करीब 63 प्रतिशत हिस्सा साझा किया। इसके अलावा, पुणे ने 3.3 एमएसएफ, चेन्नई ने 2.2 एमएसएफ, हैदराबाद ने 1.7 एमएसएफ, कोलकाता ने 0.5 एमएसएफ और अहमदाबाद ने 0.2 एमएसएफ की भागीदारी दी।
नेट अब्सॉर्प्शन – यानी ऑफिस स्पेस के वास्तविक उपयोग का संकेत – भी उत्साहजनक रहा। दूसरी तिमाही में यह 13.5 एमएसएफ रहा, जो साल दर साल 19 फीसदी की बढ़ोतरी दर्शाता है। 2025 की पहली छमाही में कुल नेट अब्सॉर्प्शन 27.8 एमएसएफ तक जा पहुंचा। खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर (5.2 एमएसएफ), पुणे (4.3 एमएसएफ) और चेन्नई (3.1 एमएसएफ) ने अब तक की अपनी सबसे ज्यादा अर्धवार्षिक नेट अब्सॉर्प्शन दर्ज की।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि इस साल की पहली छमाही में कुल लीजिंग का 77 प्रतिशत हिस्सा फ्रेश लीज का रहा, यानी कंपनियां नए स्पेस की ओर लगातार रुख कर रही हैं। यह ट्रेंड 2022 के आखिर से लगातार 70 फीसदी से ऊपर बना हुआ है।
ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCC) लीजिंग की डिमांड के अहम स्तंभ बने रहे। अप्रैल-जून तिमाही में इनका योगदान 5.1 एमएसएफ यानी कुल लीजिंग का 24 प्रतिशत रहा। बेंगलुरु और पुणे ने इनमें से सबसे बड़ा हिस्सा निभाया, दोनों शहरों ने मिलाकर 63 प्रतिशत लीजिंग जीसीसी के नाम की।
2025 की पहली छमाही में जीसीसी लीजिंग ने ऐतिहासिक ऊंचाई छू ली। इस दौरान 11.4 एमएसएफ की डील्स हुईं, जो पिछले साल की तुलना में 3 फीसदी ज्यादा हैं। आईटी-बीपीएम कंपनियों ने इसमें सबसे बड़ी 40 फीसदी की हिस्सेदारी ली, जबकि इंजीनियरिंग व मैन्युफैक्चरिंग जीसीसी का हिस्सा 36 प्रतिशत रहा।
कुल मिलाकर, यह आंकड़े यह स्पष्ट संकेत देते हैं कि भारत का ऑफिस रियल एस्टेट बाजार एक नए युग की ओर बढ़ रहा है — जहां लीजिंग एक्टिविटी नई ऊंचाइयों को छू रही है और कंपनियों का भरोसा पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है।