मॉस्को। युद्ध की तपिश के बीच शांति की एक और किरण दिखाई दे रही है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी लंबे संघर्ष के बाद अब कूटनीतिक पहल एक बार फिर रफ्तार पकड़ती नजर आ रही है। दो दौर की बातचीत के बाद अब तीसरे चरण की तैयारी की चर्चाएं तेज हैं। क्रेमलिन को उम्मीद है कि जल्द ही नई वार्ता की तारीख तय हो सकती है।
क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, “हम आशा करते हैं कि तीसरे दौर की बातचीत को लेकर दोनों पक्षों में जल्द सहमति बनेगी। लेकिन यह पूरी तरह आपसी सहमति और समझ पर आधारित प्रक्रिया है।”
हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल कोई तय तारीख नहीं है। पेस्कोव के अनुसार, वार्ता की गति इस बात पर निर्भर करेगी कि कीव और अमेरिका किस तरह मध्यस्थता करते हैं।
पहले दो दौर की बातचीत से मिली राहतें भी कम अहम नहीं थीं। पहली बैठक में कैदियों की अदला-बदली पर सहमति बनी, जबकि दूसरी बैठक में 6000 यूक्रेनी सैनिकों के शवों की वापसी और युवा व बीमार कैदियों की रिहाई पर समझौता हुआ था।
पहली वार्ता 16 मई को इस्तांबुल और दूसरी 2 जून को तुर्किए में हुई थी। यूक्रेन के रक्षा मंत्री रुस्तम उमरोव ने तीसरे दौर के लिए जून के अंत का प्रस्ताव दिया था, लेकिन वह अब तक अमल में नहीं आया।
रूसी मीडिया के मुताबिक, रूस ने संघर्ष विराम के लिए दो प्रस्ताव भी रखे थे—जिनमें यूक्रेनी सेना को डोनेत्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया से पीछे हटने की मांग शामिल थी। साथ ही 100 दिनों के भीतर राष्ट्रपति चुनाव कराने की शर्त भी जोड़ी गई थी।
हालांकि, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इन शर्तों को ‘शांति नहीं, आत्मसमर्पण की मांग’ करार दिया है। उनके चीफ ऑफ स्टाफ आंद्रेई यरमाक ने रूस पर युद्ध जारी रखने की मंशा जताते हुए और कड़े प्रतिबंधों की मांग की है।
इस बीच, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि “रूस संघर्ष समाप्त करने को तैयार है, बशर्ते इसकी जड़ पर प्रहार हो।”
वहीं, तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ संपर्क में होने की पुष्टि की है और कहा है कि दोनों इस वार्ता में सक्रिय भूमिका निभाने को इच्छुक हैं।
अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या तीसरा दौर नई उम्मीदें लेकर आएगा, या शांति की यह कोशिश भी अधूरी रह जाएगी।