नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने सोमवार को एक ऐसा फैसला सुनाया है जो कई मामलों में मिसाल बन सकता है। कोर्ट ने साफ कहा है कि किसी लड़की से केवल “I Love You” कहना अपने आप में यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता, जब तक कि इसके साथ ऐसा कोई व्यवहार न हो जो यौन नीयत को दर्शाता हो।
यह मामला नागपुर के काटोल क्षेत्र के 25 वर्षीय युवक से जुड़ा है, जिसे 2017 में 17 साल की एक किशोरी से कथित छेड़छाड़ के मामले में तीन साल की सजा दी गई थी। लेकिन अब हाईकोर्ट ने उसे बरी कर दिया है। युवक ने सेशंस कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और वह तब से ज़मानत पर था।
क्या कहा कोर्ट ने?
न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फाल्के ने अपने फैसले में कहा कि “सिर्फ प्रेम का इज़हार करना, जैसे ‘I Love You’ कहना, अपने आप में आरोपी की यौन नीयत को सिद्ध नहीं करता। जब तक उसके साथ ऐसा कोई आचरण न हो जो यौन उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से दर्शाए, तब तक इसे यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता।”
क्या था मामला?
यह घटना 23 अक्टूबर 2015 की है, जब खापा गांव की एक 11वीं कक्षा की छात्रा ने शिकायत दर्ज कराई थी। उसने आरोप लगाया था कि एक युवक ने रास्ते में उसका हाथ पकड़कर पहले नाम पूछा और फिर कहा – “आई लव यू”। इसके आधार पर युवक पर IPC की धारा 354A (यौन उत्पीड़न), 354D (पीछा करना) और पॉक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत केस दर्ज किया गया।
हाईकोर्ट ने माना – यौन इरादा साबित नहीं हुआ
युवक के वकील सोनाली खोब्रागड़े ने दलील दी कि न तो युवक ने बार-बार संपर्क करने की कोशिश की, न ही कोई आपत्तिजनक हरकत की जिससे यौन इरादे का संकेत मिले। कोर्ट ने माना कि महज़ शब्दों के आधार पर किसी की नीयत तय नहीं की जा सकती। आरोपी के पूरे व्यवहार को देखकर ही निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है।
नतीजा – युवक को राहत
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी जोड़ा कि इस मामले में कोई भी ऐसा स्पष्ट साक्ष्य नहीं था जिससे यह साबित हो सके कि युवक की नीयत यौन उत्पीड़न की थी। लिहाज़ा, उसे दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया गया।
यह फैसला उन मामलों के लिए अहम नजीर बन सकता है, जहां महज़ शब्दों के आधार पर आरोपी की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं। कोर्ट ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि कानून की नजर में इरादा और व्यवहार दोनों का मूल्यांकन ज़रूरी है।