काठमांडू। नेपाल की धरती एक बार फिर कांप उठी। सोमवार सुबह आए भूकंप के झटकों ने लोगों को चौंका दिया। भारतीय समयानुसार सुबह 8:24 बजे महसूस किए गए इन झटकों की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.9 मापी गई। झटकों के बाद डर से लोग घरों से बाहर निकल आए। हालांकि, फिलहाल किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप का केंद्र 29.24° उत्तरी अक्षांश और 81.77° पूर्वी देशांतर पर, जमीन से 14 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। इससे एक दिन पहले यानी रविवार दोपहर 2:19 बजे भी नेपाल में 4.2 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र इसी क्षेत्र में 10 किलोमीटर की गहराई पर था।
नेपाल की भूकंपीय गतिविधियों को लेकर चिंता नई नहीं है। यह देश भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों की सीमा पर स्थित है, जो इसे भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील बनाता है। 2015 में गोरखा में आए विनाशकारी भूकंप की भयावहता आज भी लोगों के ज़ेहन में ताज़ा है, जिसमें 8,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और लाखों लोग बेघर हो गए थे।
भूकंप यहां आम हैं, खासकर हिमालयी क्षेत्र में, जहां प्लेटों की टक्कर से लगातार तनाव बनता रहता है। ग्रामीण इलाकों और काठमांडू जैसे शहरों में अधिकतर इमारतें भूकंप-रोधी नहीं हैं, जिससे हर झटका डर बढ़ा देता है।
विशेषज्ञों की मानें तो पहाड़ी इलाकों में भूकंप अक्सर भूस्खलन को जन्म देते हैं, जो नुकसान को कई गुना बढ़ा सकते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि नेपाल जैसी संवेदनशील जगहों में भूकंप से निपटने के उपायों को और अधिक सशक्त बनाया जाए।