मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में एक चौंकाने वाला मोड़ देखने को मिला है — एक समय एक-दूसरे के कट्टर विरोधी रहे उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे अब एकजुट होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रहे हैं। वजह है: स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य किए जाने का फैसला।
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक तस्वीर साझा की, जिसमें उद्धव और राज ठाकरे एक साथ नजर आ रहे हैं। तस्वीर के साथ राउत ने लिखा, “महाराष्ट्र के स्कूलों में अनिवार्य हिंदी के खिलाफ एकजुट प्रदर्शन होगा। ठाकरे ही ब्रांड हैं।”
एक अन्य पोस्ट में दोनों ठाकरे भाइयों की तस्वीर के पीछे बाला साहेब ठाकरे की तस्वीर भी दिख रही थी, जिसके साथ राउत ने लिखा, “महाराष्ट्र की जय हो।”
यह मुद्दा तब गर्माया जब राज्य सरकार ने स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का फैसला किया। इसके खिलाफ विपक्षी दलों ने तीखा विरोध शुरू कर दिया है।
राज ठाकरे ने 6 जुलाई को मुंबई में मार्च निकालने का ऐलान किया था, वहीं उद्धव ठाकरे ने 7 जुलाई को आजाद मैदान में आंदोलन की घोषणा की थी। अब संजय राउत ने साफ कर दिया है कि ये दोनों आंदोलन अब एक साथ और मिलकर होंगे।
उद्धव ठाकरे पहले ही सरकार पर हिंदी को “जबरन थोपने” का आरोप लगा चुके हैं। उनका कहना है कि यह भाषा या हिंदी भाषी लोगों से विरोध नहीं, बल्कि भाषाई जबरदस्ती के खिलाफ आवाज है। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, “वे मराठी और अन्य समुदायों के बीच की एकता को तोड़ने की साजिश कर रहे हैं।”
इस नई राजनीतिक साझेदारी ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। वर्षों बाद ठाकरे परिवार के ये दोनों चेहरे एकसाथ आए हैं, और वो भी एक भाषाई अस्मिता के मुद्दे पर।
अब देखना यह होगा कि यह आंदोलन केवल एक विरोध तक सीमित रहेगा या राज्य की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव लाने की भूमिका निभाएगा।