लीड्स। लंबे अंतराल के बाद टेस्ट क्रिकेट में लौटे जसप्रीत बुमराह ने एक बार फिर दिखा दिया कि वह भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी के पोस्टर बॉय ही नहीं, बल्कि असली धुरी हैं। इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स टेस्ट में 5 विकेट झटक कर उन्होंने आलोचकों को करारा जवाब दे दिया — न केवल गेंद से, बल्कि अपने शब्दों से भी।
मैच के चौथे दिन खेल समाप्त होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बुमराह का आत्मविश्वास झलकता नज़र आया। उन्होंने कहा,
“मैं अपनी राह खुद तय करता हूं, लोगों की बातों से नहीं।”
बुमराह ने साफ कर दिया कि बाहर की चर्चाओं या हेडलाइनों का उनके खेल और सोच पर कोई असर नहीं होता।
“ना सुनते-सुनते 10 साल हो गए”
बुमराह ने उन दिनों को भी याद किया जब शुरुआत में लोग उन्हें लेकर आशंकित थे।
“कहा गया कि टीम में नहीं टिकूंगा, छह महीने भी नहीं खेल पाऊंगा… और अब देखिए, 10 साल हो गए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में, 12-13 साल से आईपीएल खेल रहा हूं। आज भी लोग कहते हैं कि यह चोट आखिरी हो सकती है — लेकिन मैं सुनता नहीं। बस खेलता हूं।”
कप्तानी से हटे, लेकिन टीम के लिए तैयार
अपनी फिटनेस को प्राथमिकता देते हुए बुमराह ने टेस्ट मैचों के चयन में संयम बरता है। उन्होंने खुद ही टीम मैनेजमेंट से कहा है कि वह पूरी सीरीज़ में नहीं खेल पाएंगे, और इसी वजह से कप्तानी से भी हट गए।
“मेरे लिए मायने रखता है कि जब मैं मैदान पर हूं, तो पूरी ऊर्जा के साथ खेलूं। भविष्य की चिंता करने से प्रदर्शन प्रभावित होता है।”
“रात को खुद से पूछता हूं एक सवाल…”
बुमराह ने अपनी सोच का एक गहरा पहलू भी साझा किया —
“रात को खुद से एक सवाल करता हूं — क्या मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया? अगर जवाब हां होता है, तो चैन की नींद आती है।”
“भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाना है”
बात को समेटते हुए बुमराह ने कहा कि उनका हर दिन खुद को बेहतर बनाने और भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाने की दिशा में एक कदम है।
“भगवान ने जो काबिलियत दी है, मैं उसे और निखारने की कोशिश करता हूं। मेरा लक्ष्य सिर्फ अच्छा खेलना नहीं, बल्कि टीम और देश को ऊपर ले जाना है।”
जसप्रीत बुमराह की यह वापसी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि एक प्रेरणा की कहानी है — जिसने आलोचनाओं को नजरअंदाज कर सिर्फ अपने खेल से जवाब देना चुना।