नई दिल्ली। भारतीय हॉकी के चमकते सितारे और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता ललित उपाध्याय ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कह दिया है। रविवार को एफआईएच प्रो लीग में बेल्जियम के खिलाफ भारत की रोमांचक 4-3 जीत के तुरंत बाद उन्होंने अपने संन्यास की घोषणा की। सोशल मीडिया के ज़रिए उन्होंने अपने इस भावनात्मक फैसले को साझा किया और एक युग के अंत की शुरुआत कर दी।
संघर्ष से सफलता तक: एक प्रेरणादायक यात्रा
वाराणसी के एक छोटे से गांव से निकलकर अंतरराष्ट्रीय हॉकी के शिखर तक पहुंचने वाले ललित का सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने खुद इसे “एक छोटे गांव से ओलंपिक पोडियम तक की यात्रा” बताया। संसाधनों की कमी के बावजूद उनके सपने कभी छोटे नहीं हुए। उन्होंने अपने संन्यास संदेश में लिखा, “26 साल बाद मेरे शहर से कोई ओलंपियन बनना गर्व की बात है।”
मैदान पर चमकती प्रतिभा
ललित उपाध्याय ने भारत के लिए 183 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले और 67 गोल दागे। 2014 हॉकी वर्ल्ड कप से पदार्पण करने वाले इस बहुमुखी फॉरवर्ड ने टोक्यो 2020 और पेरिस 2024 दोनों ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर खुद को बड़े मैचों का खिलाड़ी साबित किया।
उनके करियर में कई स्वर्णिम लम्हे रहे – 2016 एशियन चैंपियंस ट्रॉफी, 2017 एशिया कप, 2018 एशियाई खेलों, 2018 एफआईएच चैंपियंस ट्रॉफी, 2021-22 एफआईएच प्रो लीग और 2022 एशियाई खेलों में पदकों की झड़ी लगाई। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें वर्ष 2021 में अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
भावुक अलविदा और खास संदेश
ललित ने अपने फेसबुक पोस्ट में अपने माता-पिता, कोच परमानंद मिश्रा, मेंटर समीर-धनराज, एयर इंडिया, बीपीसीएल, हॉकी इंडिया और राज्य सरकार का आभार जताया। उन्होंने उल्लेख किया कि वे अब पुलिस सेवा में डीएसपी के रूप में अपनी नई भूमिका निभाने को तैयार हैं।
उन्होंने टीम इंडिया के कप्तान हरमनप्रीत सिंह को खास तौर पर याद करते हुए लिखा, “हॉकी ने मुझे सबकुछ दिया, और उसमें तुम सबसे कीमती तोहफा हो, भाई।”
हॉकी इंडिया ने किया सम्मान
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप तिर्की ने ललित को “अपने दौर के सबसे स्टाइलिश और समर्पित फॉरवर्ड” करार दिया। उन्होंने कहा, “वाराणसी की गलियों से ओलंपिक पोडियम तक की उनकी यात्रा हर युवा खिलाड़ी के लिए प्रेरणा है।”
महासचिव भोला नाथ सिंह ने भी ललित की तारीफ करते हुए कहा कि वे सिर्फ मैदान पर ही नहीं, बल्कि मैदान के बाहर भी एक बेहतरीन इंसान हैं। “उनकी तकनीक, लय और नेतृत्व क्षमता हमेशा याद की जाएगी।”
अलविदा ललित, भारतीय हॉकी को तुम पर गर्व है
ललित उपाध्याय भले ही अब मैदान पर न दिखें, लेकिन उनकी विरासत हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उन्होंने न केवल पदक जीते, बल्कि भारतीय हॉकी के जज़्बे को दुनिया के सामने साबित किया।