वाशिंगटन/तेहरान। ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते संघर्ष ने वैश्विक ऊर्जा बाजार को झकझोर दिया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल और पेट्रोल की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखा जा रहा है, जिससे आम लोगों की जेब पर बोझ बढ़ने की आशंका गहराने लगी है।
मंगलवार को अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतों में 2.9 फीसदी की तेजी आई, जिससे इसका भाव 73.90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया — यह इस साल जनवरी के अंत के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। गौरतलब है कि सोमवार को इसमें 1.7 प्रतिशत की गिरावट आई थी, लेकिन ताजा भू-राजनीतिक तनाव ने बाजार को फिर से गर्म कर दिया।
बीते सप्ताह इज़राइल की ओर से ईरान पर किए गए अभूतपूर्व हवाई हमलों के बाद कच्चे तेल में 13 प्रतिशत तक की उछाल दर्ज की गई थी, जो अक्टूबर 2022 के बाद का सबसे बड़ा साप्ताहिक उछाल है।
इस मूल्य वृद्धि का असर अब पेट्रोल पंपों पर भी दिखने लगा है। अमेरिका में रेगुलर गैसोलिन की औसत कीमत में तीन सेंट की बढ़ोतरी हुई है और यह अब 3.17 डॉलर प्रति गैलन तक पहुंच गई है। यह महंगाई आम उपभोक्ताओं के लिए नई चिंता बन गई है, खासकर तब जब गर्मी के मौसम में ट्रैवल और ट्रांसपोर्ट की मांग चरम पर रहती है।
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि अगर हालात यूं ही बिगड़ते रहे, तो ऊर्जा संकट और भी गहराता जा सकता है, जिसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा।