नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देशभर में जनगणना की तैयारियां शुरू कर दी हैं। सोमवार को आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी गई, जिसमें बताया गया कि यह महाअभियान दो चरणों में पूरा किया जाएगा और 2027 को जनगणना वर्ष घोषित किया गया है।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, पहला चरण 1 अक्टूबर, 2026 से शुरू होगा, जिसमें जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी व हिमाच्छादित क्षेत्र शामिल होंगे। वहीं, देश के बाकी हिस्सों में जनगणना का दूसरा चरण 1 मार्च, 2027 से शुरू किया जाएगा।
विशेष बात यह है कि इस बार की जनगणना में जातिगत आधार पर भी गणना की जाएगी—जो इतिहास में पहली बार हो रहा है। हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, ताकि नीतियों को और अधिक सटीक, प्रभावी और समावेशी बनाया जा सके।
हालांकि, जातिगत गणना को लेकर राजनीतिक घमासान भी तेज हो गया है। कांग्रेस ने इसे अपनी विचारधारा की जीत बताया और कहा कि मोदी सरकार को सामाजिक न्याय की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए बाध्य होना पड़ा। दूसरी ओर, भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष सिर्फ दावे करता है, जबकि एनडीए सरकार जमीनी बदलाव लाने में जुटी है।
गौरतलब है कि जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत जनगणना हर 10 साल में होती है, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण यह प्रक्रिया पिछली बार स्थगित कर दी गई थी। अब 2027 में यह जनगणना नई आधारभूत संरचना और डिजिटल तरीकों के साथ की जाएगी, जिससे डेटा संग्रह और विश्लेषण पहले से कहीं अधिक आधुनिक और तेज़ होगा।
देश की सामाजिक संरचना, नीति निर्धारण और संसाधन आवंटन पर इसका गहरा असर पड़ेगा।