कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ: शहीदों को सलाम, परिजनों को सेना का नमन

नई दिल्ली। देश की मिट्टी के लिए जान न्यौछावर करने वाले वीर सपूतों की शहादत को सलाम करने के लिए भारतीय सेना ने कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ पर एक भावुक और गर्व से भरा अभियान शुरू किया है। इस विशेष आउटरीच कार्यक्रम के तहत, सेना उन परिवारों तक पहुंच रही है जिनके बेटे 1999 के कारगिल युद्ध में देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे।

इस पहल के जरिए सेना न सिर्फ अपने जांबाज शहीदों को याद कर रही है, बल्कि उनके परिजनों को भी सम्मानित कर उनके बलिदान को नमन कर रही है। देशभर में सेना की विशेष टीमें शहीदों के पैतृक स्थानों का दौरा कर रही हैं। इन टीमों में एक अधिकारी, एक जेसीओ और तीन अन्य रैंक के जवान शामिल होते हैं, जो हर शहीद परिवार को व्यक्तिगत रूप से एक स्मृति चिह्न और सेना के जनरल ऑफिसर कमांडिंग की ओर से लिखा गया आभार पत्र भेंट करते हैं।

इस अभियान की एक झलक 13 जून को देखने को मिली, जब कैप्टन आशुतोष तोमर के नेतृत्व में एक सैन्य दल केरल के कन्नूर पहुंचा। वहां उन्होंने कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन के.सी. प्रीतम कुमार (141 फील्ड रेजिमेंट) की मां प्रमिला बालाकृष्णन से मुलाकात की। इस भावनात्मक क्षण में टीम ने उन्हें स्मृति चिह्न और आभार पत्र सौंपते हुए उनके बेटे की वीरता और बलिदान को नमन किया।

कारगिल युद्ध, जो 1999 में पाकिस्तान द्वारा कारगिल की चोटियों पर कब्जा करने के बाद शुरू हुआ था, भारतीय सेना के अद्वितीय साहस और रणनीति का प्रतीक बन गया। ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत चलाए गए इस सैन्य अभियान में भारतीय जवानों ने दुर्गम पहाड़ियों पर लड़ाई लड़ते हुए दुश्मन को पीछे धकेला और फिर से कब्जा जमाया। इस गौरवपूर्ण जीत में देश ने 527 वीर जवानों को खोया, लेकिन उनकी शहादत ने भारत को गौरवान्वित कर दिया।

कारगिल विजय दिवस, जो हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है, सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि वीरता, देशभक्ति और एकता का प्रतीक है। यह दिन हमें उन बहादुर जवानों की याद दिलाता है जिन्होंने मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर किए।

इस वर्ष सेना की यह पहल न केवल एक सम्मान समारोह है, बल्कि यह एक गूंज है उस कसम की जिसे हर सैनिक अपने दिल में लेकर चलता है — “सेवा परमो धर्मः”। सेना यह स्पष्ट संदेश दे रही है कि देश कभी अपने वीरों और उनके परिवारों को नहीं भूलेगा।

इस मुहिम से जुड़ी हर मुलाकात, हर स्मृति चिह्न, हर शब्द, एक वादा है — “आपका बलिदान अमर है, और हम हर heartbeat में उसे महसूस करते हैं।”

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