नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 से 18 जून तक तीन देशों के अहम दौरे पर रहेंगे, जिसमें कनाडा, साइप्रस और क्रोएशिया शामिल हैं। इस बहुप्रतीक्षित विदेश यात्रा का मुख्य आकर्षण कनाडा में होने वाला जी7 शिखर सम्मेलन है, जहां प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक मंच पर भारत की दमदार उपस्थिति दर्ज कराएंगे।
विदेश मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री 16-17 जून को कनाडा के कानानास्किस शहर में आयोजित जी7 सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह लगातार छठा मौका होगा जब प्रधानमंत्री मोदी दुनिया की सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के इस महत्वपूर्ण मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। सम्मेलन में ऊर्जा सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम टेक्नोलॉजी और तकनीकी नवाचार जैसे ज्वलंत वैश्विक मुद्दों पर भारत का दृष्टिकोण साझा किया जाएगा।
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी जी7 देशों के नेताओं के साथ-साथ आमंत्रित राष्ट्रों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों से भी संवाद करेंगे। कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय मुलाकातें भी इस दौरे के दौरान प्रस्तावित हैं, जिनमें वैश्विक कूटनीति और व्यापारिक साझेदारी को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
कनाडा यात्रा को लेकर खासा उत्साह है, क्योंकि यह न सिर्फ भारत की वैश्विक भूमिका को रेखांकित करती है, बल्कि भारत-कनाडा के हालिया तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने का भी सुनहरा अवसर मानी जा रही है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भारत को जी7 सम्मेलन के लिए आमंत्रित करते हुए यह स्पष्ट किया कि भारत, जो अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक निर्णायक कड़ी है।
प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा की शुरुआत 15 जून को साइप्रस से होगी। उल्लेखनीय है कि यह पिछले दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा होगी। प्रधानमंत्री निकोसिया में राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स से मुलाकात करेंगे और लिमासोल में भारतीय व्यापारिक समुदाय को संबोधित करेंगे। यह यात्रा दोनों देशों के बीच राजनयिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्तों को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
कनाडा दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी 18 जून को क्रोएशिया पहुंचेंगे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली यात्रा होगी। वहां वे प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेनकोविच और राष्ट्रपति जोरान मिलानोविच से मुलाकात करेंगे। यह ऐतिहासिक दौरा भारत और यूरोपीय संघ के साथ गहरे और व्यावहारिक रिश्तों को मजबूती प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी की यह त्रिदेशीय यात्रा न केवल भारत की वैश्विक कूटनीतिक पकड़ को और सशक्त बनाएगी, बल्कि रणनीतिक, तकनीकी और आर्थिक साझेदारियों में भी नए द्वार खोलेगी।