नई दिल्ली। भारत- अमेरिका संबंधों को नई मजबूती देने के लिए विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों से अहम वार्ता की। 27 से 29 मई तक चले इस दौरे में रक्षा, वाणिज्य, वित्त, तकनीक और रणनीतिक सहयोग के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।
विदेश सचिव ने वाणिज्य विभाग के अंडर सेक्रेटरी जेफ़्री केसलर से मुलाकात कर द्विपक्षीय व्यापार समझौते की प्रगति, उभरती तकनीकों में सहयोग और आईटीएआर (इंटरनेशनल ट्रैफिक इन आर्म्स रेगुलेशंस) जैसे निर्यात नियंत्रण नियमों को सरल बनाने पर गंभीर बातचीत की। दोनों देशों ने रणनीतिक व्यापार संवाद की अगली बैठक जल्द बुलाने पर भी सहमति जताई।
यह यात्रा प्रधानमंत्री की फरवरी में अमेरिका यात्रा के बाद ‘कॉम्पैक्ट’ पहल की अगली कड़ी थी, जिसका उद्देश्य रक्षा, वाणिज्य और तकनीकी साझेदारी को तेज करना है। विदेश सचिव ने उद्योग और थिंक टैंक के प्रतिनिधियों से भी संवाद किया, जिससे भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी की व्यापकता उजागर हुई।
कॉम्पैक्ट के तहत रक्षा सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी रणनीतियाँ, और क्वाड, आई2यू2, आईएमईईसी जैसे बहुपक्षीय मंचों पर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ। विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच तकनीक, व्यापार और प्रतिभा को 21वीं सदी की साझेदारी के मजबूत स्तंभ के रूप में स्थापित किया।
विदेश सचिव ने अमेरिकी विदेश विभाग, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, रक्षा, वित्त और वाणिज्य विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ रणनीतिक वार्ता की। उप विदेश मंत्री क्रिस्टोफर लानडाउ के साथ हुई लंच बैठक में द्विपक्षीय साझेदारी की समीक्षा की गई। वित्त विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी माइकल फॉल्केंडर से आर्थिक सहयोग और वैश्विक वित्तीय संस्थानों में समन्वय पर चर्चा हुई।
रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में सह-निर्माण, संयुक्त सैन्य अभ्यास, लॉजिस्टिक्स और सूचना साझेदारी के विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। साथ ही, विदेश सचिव और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कपूर ने उद्योग और थिंक टैंक समुदाय के साथ गोलमेज बैठक कर उभरती तकनीकों में सहयोग को आगे बढ़ाने के रास्ते तलाशे।
इस यात्रा ने भारत-अमेरिका के रणनीतिक और आर्थिक रिश्तों को न सिर्फ मजबूती दी, बल्कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच सहयोग के नए आयाम खोलने का संकेत भी दिया।
