नई दिल्ली। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने लड़ाकू विमानों की कम होती संख्या पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ वर्षों में पुराने विमानों जैसे मिराज, मिग-29 और जगुआर को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए वायु सेना को हर साल 35-40 नए लड़ाकू विमानों की आवश्यकता होगी। उन्होंने जेट विमानों की संख्या बढ़ाने के लिए निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा देने का सुझाव दिया और टाटा-एयरबस के संयुक्त उद्यम में सी-295 परिवहन विमान निर्माण का उदाहरण दिया।
नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान वायु सेना प्रमुख ने कहा कि हर साल दो स्क्वाड्रन जोड़ने की जरूरत है, जिससे लगभग 35-40 नए विमानों की आवश्यकता होगी। उन्होंने माना कि यह प्रक्रिया तत्काल संभव नहीं है, लेकिन मौजूदा और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि 1980 के दशक में शामिल किए गए मिराज 2000, मिग-29 और जगुआर विमानों को 2029-30 तक चरणबद्ध रूप से हटाया जाना है।
इस महीने की शुरुआत में बेंगलुरु में हुए एयरो इंडिया शो में उन्होंने तेजस मार्क-1ए जेट के उत्पादन में हो रही देरी पर चिंता जताई थी। अनुबंधित 83 तेजस मार्क-1ए विमानों की आपूर्ति तय समय से एक साल से अधिक पीछे है। एचएएल ने अगले साल 24 तेजस मार्क-1ए जेट देने का वादा किया है, लेकिन वायु सेना प्रमुख ने आत्मनिर्भरता और आवश्यकताओं के संतुलन पर जोर देते हुए कहा कि स्वदेशी उत्पादन में देरी को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत होगी।
उन्होंने निजी कंपनियों को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इससे हर साल 12-18 अतिरिक्त जेट विमानों की आपूर्ति संभव हो सकती है। 2047 तक वायु सेना के विजन पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमें इसी दिशा में आगे बढ़ना होगा, ताकि ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में भारतीय वायु सेना के पास 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि पाकिस्तान और चीन के संभावित खतरों से निपटने के लिए 42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता है।