महाकुंभ पर प्रधानमंत्री मोदी के संस्मरण: इसे बताया एकता का महायज्ञ

नई दिल्ली। प्रयागराज में पिछले 45 दिनों से चल रहा महाकुंभ सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अनुभवों को एक ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से साझा किया। उन्होंने महाकुंभ को एकता का महायज्ञ बताते हुए इसे युग परिवर्तन की आहट करार दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा,
“प्रयागराज में 45 दिनों तक 140 करोड़ देशवासियों की आस्था इस पर्व के माध्यम से एकजुट हुई। यह दृश्य अत्यंत भावनात्मक और प्रेरणादायक था। महाकुंभ के समापन पर जो विचार मेरे मन में आए, उन्हें मैंने लेखनीबद्ध करने का प्रयास किया है।”

संस्कृति और विरासत का प्रतीक

प्रधानमंत्री ने अपने लेख में कहा कि महाकुंभ में श्रद्धालुओं की विशाल भागीदारी केवल एक रिकॉर्ड नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और विरासत की सुदृढ़ नींव भी रखता है। उन्होंने कहा कि प्रयागराज का महाकुंभ आज प्रबंधन, नीति निर्माण और अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। उन्होंने इसे भारत के उज्ज्वल भविष्य की आहट बताया।

एक भारत, श्रेष्ठ भारत का उदाहरण

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि समाज के हर वर्ग और क्षेत्र के लोग इस महाकुंभ में एक साथ आए। उन्होंने इसे ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना का प्रतीक बताया, जो देशवासियों में आत्मविश्वास और एकता को बढ़ाने वाला महापर्व बन गया।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की यात्रा

महाकुंभ के सफल आयोजन से प्रेरित होकर प्रधानमंत्री ने बताया कि वे द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रथम, श्री सोमनाथ के दर्शन करने जाएंगे। उन्होंने कहा,
“मैं श्रद्धा रूपी संकल्प पुष्प को समर्पित करते हुए हर भारतीय के कल्याण के लिए प्रार्थना करूंगा। मैं यह कामना करता हूं कि देशवासियों में एकता की यह अविरल धारा ऐसे ही बहती रहे।”

मां गंगा और जनता से माफी

प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ के दौरान हुई किसी भी कमी के लिए मां गंगा से क्षमा याचना की और जनता से भी खेद प्रकट किया। उन्होंने विश्वास जताया कि महाशिवरात्रि के साथ महाकुंभ का आध्यात्मिक स्वरूप पूर्णता को प्राप्त कर चुका है।

“जिस तरह मां गंगा की अविरल धारा बहती रहती है, उसी तरह महाकुंभ की आध्यात्मिक चेतना और एकता की यह भावना निरंतर प्रवाहित होती रहेगी।”

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