वॉशिंगटन। अमेरिका के व्हाइट हाउस से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है जिसने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को चौंका दिया है। व्हाइट हाउस की एडवाइजरी बोर्ड ऑफ ले लीडर्स में उस व्यक्ति को जगह दी गई है, जिस पर पाकिस्तान के खूंखार आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ाव के गंभीर आरोप हैं। यह नाम है इस्माइल रायर का — वही व्यक्ति जिसने खुद माना था कि वह लश्कर के आतंकी ट्रेनिंग कैंप का हिस्सा रह चुका है।
अमेरिकी प्रशासन की इस चौंकाने वाली नियुक्ति पर अब देश-विदेश में सवाल उठने लगे हैं। दक्षिणपंथी कार्यकर्ता लारा लूमर ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि यह अमेरिका के लिए “आत्मघाती फैसला” है। उन्होंने दावा किया कि रायर ने कश्मीर में भारतीय ठिकानों पर हमलों में भी भाग लिया था।
इतना ही नहीं, अमेरिकी अदालत भी रायर को आतंकवाद से जुड़े मामलों में 2004 में दोषी ठहराकर 20 साल की सजा सुना चुकी है, जिसमें से उसने 13 साल जेल में बिताए हैं।
रायर, जिसे पहले रेंडेल रायर के नाम से जाना जाता था, ने एक इंटरव्यू में लश्कर के प्रति अपनी सहानुभूति और जुड़ाव को कबूल किया था। उसने कहा था, “लश्कर मुझे पसंद है, यह कोई चरमपंथी संगठन नहीं है।”
रायर के साथ-साथ एक और विवादित शख्सियत शेख हमजा यूसूफ को भी इसी बोर्ड में शामिल किया गया है, जिन पर भी इस्लामी कट्टरपंथी विचारधारा से जुड़ाव के आरोप हैं।
अब सवाल उठता है — क्या अमेरिका ने आतंक के खिलाफ अपनी ही नीति से कदम पीछे खींच लिए हैं? क्या व्हाइट हाउस में आतंक से जुड़े नामों को जगह देना एक नई वैश्विक चिंता की शुरुआत है?