कोलकाता: पुलवामा हमले के अगले ही दिन गलती से पाकिस्तान सीमा में घुस जाने वाले पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रिषड़ा के बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार साव की 22 दिनों तक पाकिस्तानी रेंजर्स की हिरासत में कैद रहकर सहन की गई दर्दनाक यातनाओं का सच सामने आया है।
पूर्णम ने बताया कि उन दिनों उनकी आंखों पर काले कपड़े की पट्टी बंधी रहती थी और 22 दिन तक उन्हें न तो सोने दिया गया, न ही पलकों को आराम। लगातार मानसिक और शब्दों से की गई बर्बर प्रताड़ना ने उनके साहस को बुरी तरह झकझोरा। पाकिस्तानी सेना ने पूरी कोशिश की कि वे बीएसएफ की गुप्त जानकारियां लीजिए, लेकिन पूर्णम के पास मोबाइल फोन न होने के कारण वे नाकाम रहे।
पूर्णम को तीन अलग-अलग जगहों पर रखा गया, जिनमें से एक एयरबेस जैसा ठिकाना था जहां लगातार हवाई जहाजों की आवाजें आती थीं। हालांकि किसी शारीरिक चोट से बचाए गए, लेकिन जो मानसिक यातनाएं उन्होंने झेली, वह किसी भी सोच से परे हैं।
पाकिस्तानी सेना के चंगुल से मुक्त होकर पूर्णम कुमार वापस लौटे, तो उन्हें तुरंत चिकित्सकीय जांच और बीएसएफ अधिकारियों से पूछताछ के लिए ले जाया गया। इस दौरान उनके दिल दहला देने वाले अनुभवों ने सभी को हिलाकर रख दिया है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि इस जवान ने कैसे हिम्मत नहीं हारी और उस भीषण कैद से बाहर निकला? पढ़ते रहिए हमारी ख़ास रिपोर्ट।