मुंबई: लंबे समय तक बॉलीवुड की चकाचौंध से दूर रहे अभिनेता सूरज पंचोली अब एक बार फिर दर्शकों के दिलों पर राज करने आ रहे हैं। फिल्म ‘केसरी वीर’ के जरिए सूरज एक योद्धा के अवतार में नज़र आएंगे। यह फिल्म सोमनाथ मंदिर की रक्षा और बलिदान की अनसुनी गाथा को पर्दे पर लाने वाली है, जिसमें सूरज एक साहसी और समर्पित योद्धा की भूमिका निभा रहे हैं।
‘हिंदुस्थान समाचार’ से खास बातचीत में सूरज ने फिल्म को लेकर अपने जुनून, किरदार की तैयारी, मानसिक संघर्ष और बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने की जद्दोजहद को खुलकर साझा किया।
“योद्धा बनना मेरा सपना था”
सूरज बताते हैं, “मैं हमेशा से एक योद्धा का किरदार निभाना चाहता था, लेकिन यह मौका हर किसी को नहीं मिलता। मेरी फिटनेस देखकर फिल्ममेकर्स मेरे पास आए और जब मुझे स्क्रिप्ट मिली, तो मैं चौंक गया। एक दिन पहले ही मैं सोमनाथ के दर्शन करके लौटा था और अगली सुबह ये ऑफर आया। ये सिर्फ इत्तेफाक नहीं, ईश्वर की कृपा है।”
किरदार में उतरने की तैयारी आसान नहीं थी
भले ही सूरज अपनी फिटनेस मेंटेन रखते हैं, लेकिन इस किरदार की मानसिक तैयारी ने उन्हें झकझोर दिया। “ये रोल सिर्फ एक्शन नहीं, इमोशन से भी भरा हुआ है। दर्द, त्याग और आस्था से जुड़ा है। कई डायलॉग्स ने मुझे अंदर तक हिला दिया,” उन्होंने कहा।
सुनील शेट्टी संग अनुभव
फिल्म में उनके साथ दिग्गज अभिनेता सुनील शेट्टी भी हैं। “पहली बार सुनील सर के साथ काम करने का मौका मिला। ये मेरे लिए गर्व की बात है। इससे पहले मैंने उनकी बेटी अथिया के साथ काम किया है, लेकिन इस बार एक लीजेंड के साथ स्क्रीन शेयर करना सपना पूरा होने जैसा है।”
“अब दर्शक सिर्फ चेहरा नहीं, मेहनत भी देखते हैं”
फिल्मों की बदलती ऑडियंस पर सूरज ने कहा, “आज का दर्शक बेहद समझदार है। वो जानता है कि असली परफॉर्मेंस क्या है और दिखावा क्या। अब अगर मेहनत नहीं दिखती, तो दर्शक माफ नहीं करता। रील्स के इस दौर में ध्यान खींचना आसान है लेकिन टिकना सिर्फ अच्छे कंटेंट से मुमकिन है।”
“ये मेरा सफर है, पैरेंट्स की छाया नहीं”
जब पूछा गया कि क्या उन्हें अपने पैरेंट्स की छवि के दबाव का सामना करना पड़ा, तो सूरज बोले, “नहीं, मैंने हमेशा खुद के रास्ते पर चलना चाहा। मेरे माता-पिता ने कभी मुझपर कोई दबाव नहीं डाला। ये मेरा सपना है, मेरा संघर्ष है और मेरी ही जिम्मेदारी भी।”
“स्टार किड होना आसान नहीं है”
सूरज ने ईमानदारी से स्वीकार किया कि स्टार किड्स को जितने मौके मिलते हैं, उतनी ही सख्त आलोचना भी झेलनी पड़ती है। “अगर आपमें टैलेंट नहीं है, तो स्टार किड होना भी काम नहीं आता। ट्रोलिंग ज्यादा होती है और आपको हर कदम पर खुद को साबित करना होता है,” उन्होंने स्पष्ट कहा।
अध्यात्म से मिली नई दिशा
अपने कठिन दौर में अध्यात्म के सहारे खड़े रहे सूरज कहते हैं, “सोमनाथ की यात्रा ने मेरी जिंदगी बदल दी। ये सिर्फ एक फिल्म का ऑफर नहीं था, ये मेरा पुनर्जन्म था। अब मेरा शरीर ही मेरा मंदिर है, और मैं हर दिन उसमें शक्ति भरता हूं।”
‘केसरी वीर’ न सिर्फ सूरज पंचोली के करियर की नई शुरुआत है, बल्कि उनकी आत्मा से जुड़ी एक भावनात्मक यात्रा भी है। अब देखना होगा कि पर्दे पर योद्धा बने सूरज दर्शकों के दिलों में कितनी गहराई से उतरते हैं।