दिल्ली सरकार के कार्यकाल की सभी 14 कैग रिपोर्ट की पीएसी से जांच हो
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने आम आदमी पार्टी (AAP) की पूर्ववर्ती दिल्ली सरकार के कार्यकाल में जारी हुई सभी 14 नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्टों की जांच लोक लेखा समिति (पीएसी) से कराने की मांग की है। इसके लिए कांग्रेस ने जल्द से जल्द पीएसी के गठन की भी मांग उठाई है। पार्टी का कहना है कि इससे भ्रष्टाचार में शामिल लोगों को सजा मिल सकेगी और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
कैग रिपोर्ट पर कांग्रेस का रुख
बुधवार को पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव और वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। देवेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली कांग्रेस ने ही सबसे पहले शराब नीति में कथित घोटाले को लेकर जांच एजेंसियों को शिकायत सौंपी थी। उन्होंने दावा किया कि इस घोटाले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की संलिप्तता के भी प्रमाण मौजूद हैं।
यादव ने सवाल उठाया कि विधानसभा में शराब नीति से संबंधित सभी 14 रिपोर्ट क्यों पेश नहीं की गईं? उन्होंने कहा कि आमतौर पर पीएसी की अध्यक्षता विपक्ष के नेता करते हैं, लेकिन दिल्ली में सरकार खुद इसका नेतृत्व कर रही है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। कांग्रेस की मांग है कि इन रिपोर्टों को सार्वजनिक किया जाए और उन पर विस्तृत चर्चा हो।
शराब नीति को लेकर कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कैग रिपोर्ट के निष्कर्षों का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की आबकारी नीति बार-बार बदली गई, जिससे इसका मूल उद्देश्य ही बदल गया। शुरू में इस नीति में 70 संस्थाओं की भागीदारी थी, जिसे बाद में घटाकर केवल 14 कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि नीति सरकार और ठेकेदारों के बीच बने रिश्तों और आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई थी।
उन्होंने आगे कहा कि शराब बिक्री से जुड़े कर (एक्साइज ड्यूटी) की वसूली में अनियमितताएं की गईं, जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार ने जानबूझकर 30 से 40 प्रतिशत कर चोरी को कानूनी रूप दे दिया।
भाजपा सरकार ने पेश की कैग रिपोर्ट
गौरतलब है कि मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में नवनिर्वाचित भाजपा सरकार ने कैग की एक रिपोर्ट पेश की थी। विधानसभा अध्यक्ष ने इस रिपोर्ट को जांच के लिए पीएसी को भेजने की घोषणा की थी। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2020-21 में तत्कालीन अरविंद केजरीवाल सरकार ने शराब ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए आबकारी नीति बनाई। इसमें नियमों की अनदेखी की गई, जिससे सरकारी खजाने को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
कांग्रेस की मांग और भविष्य की कार्रवाई
कांग्रेस का कहना है कि यह मामला सिर्फ शराब नीति तक सीमित नहीं है, बल्कि दिल्ली सरकार के कार्यकाल में कई अन्य विभागों में भी वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं, जिनकी निष्पक्ष जांच जरूरी है। पार्टी का यह भी आरोप है कि अगर सही तरीके से जांच की जाए तो भ्रष्टाचार के और भी मामले सामने आ सकते हैं।
अब देखना यह होगा कि दिल्ली सरकार कांग्रेस की इस मांग पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या सभी 14 कैग रिपोर्ट की जांच के लिए पीएसी का गठन किया जाता है या नहीं।