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पहलगाम आतंकवादी हमले में पाकिस्तान की भूमिका पर बड़ा खुलासा: भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर में 9 आतंकी शिविरों को नष्ट किया

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में पाकिस्तान के हाथ होने के पुख्ता साक्ष्य सामने आए हैं। इस हमले के बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी शिविरों को पूरी तरह नष्ट कर दिया। यह ऑपरेशन विश्वसनीय खुफिया सूचनाओं पर आधारित था और भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ द्वारा तैयार किए गए डोजियर के आधार पर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जहां से आतंकियों को भारत में हमले करने के लिए भेजा जा रहा था।

नेशनल मीडिया सेंटर में ऑपरेशन सिंदूर के बारे में भारतीय सेना और वायुसेना के अधिकारियों ने विस्तृत जानकारी दी। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि 22 अप्रैल को लश्कर और पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों ने कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की हत्या कर दी गई। आतंकियों ने निर्दोष सैलानियों को उनके परिवारों के सामने सिर में गोली मारी। इस हमले की जिम्मेदारी ‘रेजिस्टेंस फ्रंट’ नामक आतंकी समूह ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है।

विक्रम मिसरी ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले ने पाकिस्तान और आतंकवादियों के बीच संबंधों को उजागर किया है। उन्होंने कहा, “आतंकियों ने पर्यटकों और उनके परिवारों को धमकाकर बर्बरता का संदेश देने का प्रयास किया। इस हमले का मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुँचाना था।” इसके बाद जांच में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से आतंकवादियों के संचार के साक्ष्य भी मिले हैं, जो इस हमले में पाकिस्तान की सीधी भूमिका को साबित करते हैं।

विदेश सचिव ने पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय मंचों पर झूठ फैलाने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जानबूझकर दुनिया को गुमराह करता है और आतंकवादी साजिद मीर जैसे मामलों को दबाने की कोशिश करता है, जो बाद में अंतरराष्ट्रीय दबाव में वापस सामने आता है।

भारतीय सेना और वायुसेना ने इस हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसे कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने विस्तार से बताया। विंग कमांडर व्योमिका ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत 9 आतंकी शिविरों को नष्ट किया गया, जिनमें से कई पाकिस्तान और पीओके में स्थित थे। इन शिविरों से आतंकवादियों को भारत में हमले करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था।

कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान नागरिकों को कोई नुकसान नहीं हुआ और यह सुनिश्चित किया गया कि किसी भी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना न बनाया जाए। उन्होंने बताया कि नष्ट किए गए शिविरों में सियालकोट का महमूना जोया कैंप, जो हिजबुल मुजाहिदीन का बड़ा ठिकाना था, और मुरीदके का शिविर शामिल है, जहां 2008 के मुंबई हमले में शामिल आतंकवादियों को प्रशिक्षण दिया गया था।

इस कार्रवाई से पाकिस्तान और उसके आतंकवादियों को स्पष्ट संदेश दिया गया है कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाने में संकोच नहीं करेगा।

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