वाशिंगटन: अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय, हार्वर्ड, इन दिनों यहूदी विरोधी और इस्लामोफोबिया की घटनाओं के लिए चर्चा में है। मंगलवार को हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। विश्वविद्यालय ने इन मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए बदलाव का वादा भी किया है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में हार्वर्ड ने फंड में कटौती के विरोध में ट्रंप प्रशासन के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने यहूदी विरोधी और इस्लामोफोबिया पर प्रकाशित रिपोर्ट के बाद सुधार करने का आश्वासन दिया है। यह रिपोर्ट हार्वर्ड टास्क फोर्स द्वारा तैयार की गई है, जिसमें कहा गया है कि यहूदी विरोधी भावनाओं ने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम, सामाजिक जीवन, संकाय नियुक्तियों और शैक्षणिक कार्यक्रमों में अपनी जगह बना ली है।
हार्वर्ड टास्क फोर्स ने कैंपस में अरब विरोधी, मुस्लिम विरोधी और फिलिस्तीन विरोधी पूर्वाग्रह पर एक अलग रिपोर्ट भी जारी की है। इसमें यह भी बताया गया कि अधिकांश मुस्लिम छात्रों को अपने राजनीतिक विचारों को व्यक्त करने के कारण शैक्षणिक या पेशेवर दंड का सामना करना पड़ता है। यह रिपोर्ट उस समय सामने आई है जब ट्रंप प्रशासन कैंपस में यहूदी विरोधी घटनाओं की जांच कर रहा है और विश्वविद्यालय संघीय फंड में अरबों डॉलर की कटौती का विरोध कर रहा है।
द बोस्टन ग्लोब की रिपोर्ट के अनुसार, इस खुलासे के बाद, अरब और मुस्लिम छात्रों ने महसूस किया कि कैंपस में उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता है और साथी उन्हें संदेह की नजर से देखते हैं। इन रिपोर्टों के जारी होने के बीच, हार्वर्ड ने ट्रंप प्रशासन के साथ अपने असाधारण टकराव के बावजूद इन मुद्दों को उठाया। दोनों रिपोर्टों को पिछले साल शरद ऋतु में जारी किया जाना था, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने 19 अप्रैल को हार्वर्ड से यहूदी विरोधी रिपोर्ट से संबंधित सभी दस्तावेजों की मांग की थी।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय, जो मैसाचुसेट्स राज्य के कैम्ब्रिज शहर में स्थित है, एक निजी शोध विश्वविद्यालय है और आईवी लीग का सदस्य है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे पुराना उच्च शिक्षा संस्थान है, जिसकी स्थापना 1636 में हुई थी। यहां पढ़े हुए कई छात्रों को नोबेल और पुलित्जर पुरस्कार मिल चुके हैं, और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी यहां के पूर्व छात्र हैं।