बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में तेलंगाना की सीमा के पास जारी देश के सबसे बड़े नक्सल विरोधी अभियान के बीच, एक नया मोड़ आया है। इस बार, तेलंगाना सरकार और विपक्ष द्वारा शांति वार्ता की पहल की जा रही है। वहीं, नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी ने भी केंद्र और राज्य सरकार के नाम पर एक पर्चा जारी किया है, जिसमें बिना शर्त युद्धविराम का ऐलान करते हुए शांतिपूर्ण वार्ता की पेशकश की गई है।
इस पर्चे में आरोप लगाया गया है कि पिछले साल जनवरी 2024 से केंद्र और राज्य सरकारों की पुलिस, अर्धसैनिक बलों और कमांडो दस्तों ने ‘ऑपरेशन कगार’ के तहत सैकड़ों नक्सलियों और निर्दोष आदिवासियों की हत्याएं की हैं, जो अब भी जारी हैं। नक्सलियों ने इन हत्याओं की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि देशभर में जनवादी, क्रांतिकारी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों का आंदोलन चल रहा है, जो इस ऑपरेशन को तुरंत रोकने की मांग कर रहे हैं।
केंद्रीय कमेटी के पर्चे में यह भी कहा गया है कि युद्धविराम की घोषणा की जाए और समस्याओं का हल शांति वार्ता के जरिए निकाला जाए। केंद्रीय कमेटी ने 28 मार्च को भी एक बयान जारी कर शांति वार्ता के लिए अपनी तैयारियों का संकेत दिया था, जिसमें सरकार से बातचीत की इच्छा जताई गई थी। अब तक कुल तीन प्रेस विज्ञप्तियां जारी हो चुकी हैं।
पर्चे में यह भी बताया गया है कि नक्सलियों के पीएलजीए बलों की कार्रवाइयों को रोकने के लिए उनके कामरेडों ने आदेश जारी किए हैं, जबकि केंद्र और राज्य सरकारों ने झारखंड के बोकारो हत्याकांड में केंद्रीय कमेटी के सदस्य कामरेड विवेक समेत कई अन्य को मार डाला और बाकियों को आत्मसमर्पण करने की धमकी दी है। नक्सलियों का कहना है कि सरकार का यह बर्ताव संविधान का उल्लंघन है, क्योंकि खुद संविधान ने लोगों के जीने का अधिकार सुनिश्चित किया है।
बीते तीन दिनों से छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा के कर्रेगुट्टा इलाके में 10,000 से अधिक पुलिस, अर्धसैनिक और कमांडो बलों के साथ एक बड़ा ऑपरेशन चल रहा है। नक्सलियों ने आरोप लगाया है कि इस ऑपरेशन के तहत उनके तीन कामरेडों की हत्या कर दी गई, और पार्टी नेतृत्व को निशाना बनाने की कोशिश की जा रही है।
नक्सलियों ने एक बार फिर शांति वार्ता के लिए अपील करते हुए कहा कि अगर इन हत्याओं का सिलसिला जारी रहा, तो शांति वार्ता की कोशिशों का कोई मतलब नहीं रहेगा। केंद्रीय कमेटी ने केंद्र और राज्य सरकारों से मांग की है कि छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में एक निश्चित समय सीमा के भीतर युद्धविराम की घोषणा की जाए।