कोलंबिया विश्वविद्यालय के छात्र और फिलिस्तीन समर्थक महमूद खलील की गिरफ्तारी पर बड़ा खुलासा: बिना वारंट के हुई थी हिरासत

वाशिंगटन। कोलंबिया विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र और फिलिस्तीन समर्थक महमूद खलील को पिछले महीने बिना किसी गिरफ्तारी वारंट के हिरासत में लेने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। यह घटना 8 मार्च की है, जब खलील, जो सीरिया में जन्मे और ग्रीन कार्ड धारक हैं, रमजान के दौरान इफ्तार से लौट रहे थे। उन्हें उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वे न्यूयॉर्क शहर में अपने घर वापस लौट रहे थे।

एनबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को जारी किए गए अदालती दस्तावेज़ों से पुष्टि हुई है कि खलील को बिना वारंट के गिरफ्तार किया गया था। होमलैंड सुरक्षा विभाग के वकीलों ने अदालत में तर्क दिया कि उनके पास “वारंट रहित गिरफ्तारी के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ थीं” क्योंकि अधिकारियों को यह आशंका थी कि वह सहयोग नहीं करेंगे और भागने की कोशिश करेंगे। संघीय आव्रजन अधिकारियों का मानना था कि खलील भागने का जोखिम पैदा कर सकता था, और इसलिए उसे गिरफ्तार करना जरूरी था।

गिरफ्तारी के वीडियो में खलील को अधिकारियों से यह कहते हुए दिखाया गया कि “हां, मैं आपके साथ चलने के लिए तैयार हूं,” और उन्होंने गिरफ्तारी के दौरान पूरी तरह से सहयोग किया। इस समय खलील लुइसियाना स्थित इमिग्रेशन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में हैं। खलील की पत्नी नूर अब्दुल्ला ने हाल ही में उनके पहले बच्चे को जन्म दिया है।

खलील के वकील इस गिरफ्तारी को चुनौती दे रहे हैं और उनका कहना है कि उनके मुवक्किल के अपार्टमेंट में प्रवेश करने के लिए वारंट की जरूरत थी। उनकी कानूनी टीम इस मामले को खारिज करने की मांग कर रही है, यह दावा करते हुए कि खलील ने गिरफ्तारी के दौरान अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग किया और उनके खिलाफ भागने का कोई ठोस प्रमाण नहीं पेश किया गया।

होमलैंड सुरक्षा विभाग की सहायक सचिव, ट्रिसिया मैकलॉघलिन ने शुक्रवार को एक ईमेल बयान में कहा, “खलील ने भागने की कोशिश की, जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया।” इस बयान में यह भी कहा गया कि जब खलील को गिरफ्तार किया गया, तो उस समय प्रशासनिक गिरफ्तारी वारंट निष्पादित किया गया था।

वहीं, कोलंबिया विश्वविद्यालय ने इस मामले पर टिप्पणी करने से मना कर दिया है। इस बीच, ट्रंप प्रशासन ने खलील को अमेरिका से निर्वासित करने के लिए दो प्रमुख कारण प्रस्तुत किए हैं। पहला, प्रशासन का कहना है कि खलील ने इमिग्रेशन कानूनों का उल्लंघन किया और दूसरा, आरोप है कि उसने अपनी स्थायी निवास आवेदन में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां छुपाई, जिनमें बेरूत में ब्रिटिश दूतावास में अपनी नौकरी की जानकारी भी शामिल है।

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