कोलकाता। देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले पश्चिम बंगाल के वीर सपूत जंटू अली शेख को उनके गांव पाथरघाटा (जिला नदिया) में शनिवार को अंतिम विदाई दी गई। जैसे ही उधमपुर में बलिदान हुए जंटू अली का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, हर आंख नम हो उठी और गलियों में जनसैलाब उमड़ पड़ा। चारों तरफ ‘भारत माता की जय’ और ‘वीर जंटू अमर रहे’ के नारों की गूंज सुनाई दे रही थी। लोग अपने कंधों पर तिरंगे में लिपटे जंटू अली के ताबूत को उठाने के लिए आगे बढ़ते नजर आए।
कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद, उधमपुर में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इसी ऑपरेशन में बंगाल के इस वीर जवान ने अपने प्राणों की आहुति दी। गुरुवार को जंटू अली के बलिदान की खबर परिवार तक पहुंची। शुक्रवार रात उनका पार्थिव शरीर कोलकाता हवाई अड्डे लाया गया, जहां सैन्य सम्मान के साथ उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
शनिवार सुबह जब जंटू अली का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो गम और गर्व का अद्भुत संगम देखने को मिला। वृद्ध पिता अपने बेटे के ताबूत से लिपटकर बिलख पड़े, जबकि मां के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। बेटे के कंधे पर सिर रखकर चलने वाली मां के लिए यह वियोग असहनीय था।
बलिदानी जंटू अली की पत्नी की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे, लेकिन चेहरे पर अपने पति के बलिदान पर गर्व भी साफ झलक रहा था। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “मेरे बच्चों ने अपने पिता को खो दिया है, दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।”
2008 में भारतीय सेना में भर्ती हुए जंटू अली के परिवार में उनकी पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं। डेढ़ साल पहले ही उनकी पोस्टिंग कश्मीर में हुई थी, जहां वे परिवार सहित रह रहे थे। इस साल फरवरी में वे अंतिम बार माता-पिता से मिलने गांव आए थे।
जंटू अली के बड़े भाई, जो खुद भी भारतीय सेना में कार्यरत हैं, ने छोटे भाई के ताबूत को कंधा देकर अंतिम यात्रा में हिस्सा लिया। उन्होंने गर्व से कहा, “मेरा छोटा भाई देश के लिए शहीद हुआ है, यह हमारे पूरे परिवार के लिए गर्व की बात है।”
आज पूरा पाथरघाटा गांव एक सुर में अपने लाल को सलाम कर रहा है। जंटू अली शेख का बलिदान हमेशा के लिए अमर रहेगा।
