विशाखापत्तनम। पहलगाम में आतंकवादी हमले में शहीद हुए विशाखापत्तनम के सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी चंद्रमौली का शुक्रवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनका अंतिम संस्कार शहर के कॉन्वेंट जंक्शन स्थित हिंदू श्मशान वाटिका में हुआ, जिसमें राज्य के कई प्रमुख मंत्री, सांसद, विधायक और अधिकारी शामिल हुए।
चंद्रमौली का पार्थिव शरीर पिछले तीन दिन से विशाखापत्तनम के मुर्दाघर में रखा गया था। उनका अंतिम दर्शन करने के लिए उनकी दो बेटियां अमेरिका से वापस लौटीं। शुक्रवार की सुबह शव को उनके निवास पांडुरंगपुरम लाया गया, जहां पत्नी और बेटियों के करुण क्रंदन के बीच पूरा माहौल गमगीन हो गया। इसके बाद उनका शव हिंदू श्मशान वाटिका ले जाया गया, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
इस शोकसभा में विशाखापत्तनम के प्रभारी मंत्री डोला बाला वीरंजनेय स्वामी, राज्य गृह मंत्री वंगालापुडी अनिता, स्वास्थ्य मंत्री सत्यकुमार यादव, सांसद सीएम रमेश, विधायक, एमएलसी, जिलाधीश और अन्य अधिकारी मौजूद थे।
कैसे हुआ चंद्रमौली पर हमला?
परिजनों के अनुसार, चंद्रमौली ने इस महीने के 18 तारीख को अपना जन्मदिन मनाया था और उसी दिन अपनी पत्नी नागमणि तथा अन्य परिजनों के साथ कश्मीर गए थे। शशिधर की पत्नी सुमित्रा ने बताया कि हमले के समय वे लोग पहाड़ी पर कैंटीन के पास थे और गोलियों की आवाज सुनकर वे डर के मारे शौचालय के पीछे छिप गए थे। उन्होंने बताया कि जब एक आतंकवादी उनके पास आते हुए दिखाई दिया, तो अपनी पहचान छुपाने के लिए उन्होंने माथे से सिंदूर और कुमकुम का टीका पोंछा और पास की झील में अपना चेहरा धो लिया।
सुमित्रा ने बताया कि चंद्रमौली ने अपनी पत्नी और अन्य को सुरक्षित भागने में मदद की, लेकिन दौड़ते समय आतंकवादियों ने उन्हें गोली मार दी। सुमित्रा ने गहरी तकलीफ के साथ बताया कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने चंद्रमौली को जमीन पर गिरते हुए देखा।