इस्लामाबाद। भारत के जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान संसद के उच्च सदन सीनेट (आइवान-ए-बाला) में आज गर्मागर्म बहस हुई। इस दौरान, सीनेट ने एक प्रस्ताव पारित कर भारत के उस आरोप को पूरी तरह से खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि इस हमले में पाकिस्तान का हाथ था। सीनेट ने इन आरोपों को निराधार और राजनीति से प्रेरित करार दिया।
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सीनेट में पारित प्रस्ताव में आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा की गई। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाना पाकिस्तान के मूल मूल्यों के खिलाफ है। भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने की घोषणा के बाद, पाकिस्तान के नेताओं ने सीनेट में इसका विरोध किया। इस प्रस्ताव में चेतावनी दी गई कि पाकिस्तान किसी भी तरह के आक्रमण का मजबूती से जवाब देने में सक्षम है।
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने सीनेट में बताया कि भारत ने भले ही पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन बिना किसी प्रमाण के पाकिस्तान पर आरोप लगाए। डार ने आगे बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में जो निर्णय लिए गए थे, वह 26 देशों को सूचित किए गए हैं, जबकि बाकी को आज सूचित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान से शाम 7 बजे बातचीत करने का समय मांगा है और यह भी जताया कि पाकिस्तान के सशस्त्र बल पूरी तरह से तैयार हैं।
सीनेट में विपक्ष के नेता शिबली फराज ने कहा कि इस प्रस्ताव के जरिए पाकिस्तान विरोधियों को एकजुट संदेश भेज रहा है। उन्होंने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह लगातार आतंकवाद के बहाने पाकिस्तान को बदनाम करता है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की सीनेटर शेरी रहमान ने भी सरकार की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद पर भारत से बातचीत करने की कोशिश की थी, लेकिन भारत ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी।
इस बीच, अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के अध्यक्ष ऐमल वली ने कहा कि युद्ध से किसी को भी कोई लाभ नहीं होता। उन्होंने भारत में उन लोगों से अपील की, जो शांति और अहिंसा के पक्षधर हैं, कि वे युद्ध के खिलाफ आवाज उठाएं। वली ने पाकिस्तान और भारत के बीच किसी भी संभावित वार्ता में शामिल होने की इच्छा जताई और कहा कि पाकिस्तान का उद्देश्य हमेशा शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखना है, क्योंकि इससे दोनों देशों को फायदा होगा।