पालमपुर: पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने देश में बढ़ते जातिगत भेदभाव और दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यही सामाजिक विघटन भारत की ऐतिहासिक गुलामी का प्रमुख कारण था और दुख की बात है कि यह आज भी हमारे समाज में मौजूद है।
शांता कुमार ने मंगलवार को एक बयान में कहा, “वेद, उपनिषद, राम और कृष्ण के भारत को सदियों तक गुलामी का सामना करना पड़ा, क्योंकि हमारा समाज जाति के आधार पर बंटा हुआ था। आज भी दलितों को समाज में अपमानित किया जाता है, और यही हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है।” उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत में हर दिन औसतन 150 दलितों पर अत्याचार के मामले दर्ज होते हैं। 2024 में तो ये आंकड़ा 51,000 के पार पहुंच गया। उन्होंने यह भी कहा कि आज भी गरीब दलित परिवार सामाजिक समानता से वंचित हैं, और घोड़ी चढ़कर शादी करने पर उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ता है।
शांता कुमार ने हिंदू समाज के नेताओं से आह्वान किया कि वे इस गंभीर समस्या पर गंभीरता से विचार करें। उन्होंने कहा, “हमने अपने ही समाज के गरीबों को दलित कहकर उन्हें अलग किया, जबकि विदेशी ताकतों ने उन्हें अपनाया। इसी सामाजिक बहिष्कार के कारण लाखों लोगों ने धर्म बदला, और पाकिस्तान तथा बांग्लादेश जैसे देशों का निर्माण हुआ।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के बयान का संदर्भ देते हुए शांता कुमार ने चेतावनी दी, “अगर हिंदू समाज अब भी नहीं जागा, तो हमें एक और विभाजन का सामना करना पड़ सकता है। कट्टरपंथी मानसिकता से प्रेरित कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग चार-चार शादियां कर बीस-बीस बच्चे पैदा कर रहे हैं। इनमें से कुछ घुसपैठी के रूप में हमारे देश में आते हैं और इस काम में उन्हें विदेशी फंडिंग भी मिलती है।”
शांता कुमार ने कहा कि अगर देश में बढ़ती जनसंख्या असंतुलन और सामाजिक विघटन को समय रहते नहीं रोका गया, तो भारत को भविष्य में एक और विभाजन का सामना करना पड़ सकता है।