वक्फ संशोधन कानून पर भड़के ओवैसी, बोले – “संविधान की रक्षा के लिए हम पीछे नहीं हटेंगे!”

हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार को सीधी चुनौती देते हुए वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को “काला कानून” करार दिया और इसकी वापसी तक लगातार संघर्ष की घोषणा की है।

हैदराबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को याद दिलाया कि वे उसी संविधान का पालन करते हैं जिसे डॉ. भीमराव अंबेडकर ने बनाया था – एक ऐसा संविधान जो सभी नागरिकों को बराबरी का हक़ देता है। उन्होंने कहा, “हम इस कानून के खिलाफ तब तक संघर्ष करेंगे, जब तक सरकार इसे वापस लेने पर मजबूर नहीं हो जाती – ठीक वैसे ही जैसे किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की।”

“हम संविधान के साथ हैं, लेकिन आरएसएस केवल दिखावा करता है”

ओवैसी ने बीजेपी और आरएसएस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि संविधान में आस्था केवल शब्दों में नहीं, कर्मों में होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हमने तीन तलाक और बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को स्वीकार किया, क्योंकि हम संवैधानिक मूल्यों में विश्वास रखते हैं। लेकिन आरएसएस सिर्फ दिखावा करता है, पालन नहीं करता।”

“ये धार्मिक युद्ध नहीं, लोकतंत्र की लड़ाई है”

बीजेपी नेताओं की उस चेतावनी पर भी ओवैसी ने पलटवार किया जिसमें कहा गया था कि वक्फ कानून का विरोध करने वाले ‘धार्मिक युद्ध’ छेड़ रहे हैं। ओवैसी ने स्पष्ट किया कि यह किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक लोकतांत्रिक संघर्ष है। उन्होंने कहा, “असल में जो संविधान के खिलाफ युद्ध छेड़ रही है, वो है भगवा पार्टी।”

उन्होंने सरकार की नीतियों – ट्रिपल तलाक, CAA, UAPA और अब UCC को अल्पसंख्यकों पर “एक के बाद एक वार” बताते हुए मुस्लिम समुदाय से एकजुट रहने का आह्वान किया। साथ ही शिया-सुन्नी भेदभाव से ऊपर उठने की अपील की।

“हम पीछे नहीं हटेंगे, ये लड़ाई लंबी चलेगी”

ओवैसी ने जनसभा में जुटे लोगों से पूछा, “क्या आप एक लंबी लोकतांत्रिक लड़ाई के लिए तैयार हैं?” और खुद ही जवाब दिया, “अगर हां, तो वादा करें – जब तक यह काला कानून वापस नहीं लिया जाता, हम लड़ते रहेंगे।”

AIMPLB के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी सहित कई अन्य नेताओं ने भी इस सभा को संबोधित किया और इसे देश के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की दिशा में एक जरूरी कदम बताया।

सभा से पहले, ओवैसी ने स्थानीय टीवी चैनलों के माध्यम से अपील की कि यह आंदोलन किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि केंद्र की उस नीति के खिलाफ है जो संविधान की भावना को चोट पहुंचाती है। उन्होंने सभी से शांतिपूर्ण प्रदर्शन और कानून का पालन सुनिश्चित करने की भी अपील की।

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