काठमांडू: नेपाल के चर्चित आध्यात्मिक गुरु और ‘लिटिल बुद्ध’ के नाम से पहचाने जाने वाले राम बहादुर बमजन को यौन शोषण के एक गंभीर मामले में जनकपुर हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला कानूनी समयसीमा से बाहर जाकर दर्ज किया गया था, इसलिए आरोप मान्य नहीं हो सकते।
हाई कोर्ट के न्यायाधीश खेमराज भट्ट और नरिश्वर भंडारी की खंडपीठ ने सर्लाही जिला अदालत के पिछले फैसले को खारिज करते हुए कहा कि 1 फरवरी 2017 तक मामला दर्ज किया जाना चाहिए था, जबकि 5 फरवरी 2017 को शिकायत की गई – यानी तय सीमा से चार दिन बाद। इसके चलते बमजन को दी गई 10 साल की जेल और 5 लाख रुपये का जुर्माना भी अमान्य करार दे दिया गया।
राम बहादुर बमजन 2005 में तब सुर्खियों में आए थे जब दावा किया गया कि उन्होंने महीनों तक बिना अन्न-जल के ध्यान साधना की। उस वक्त देश-विदेश से लोग उन्हें देखने नेपाल के जंगलों में उमड़ पड़े थे। लेकिन बीते वर्षों में उनका नाम विवादों में भी घिरा रहा — खासकर अपने आश्रम में रहने वाले बच्चों के यौन शोषण, चार शिष्यों के रहस्यमयी ढंग से गायब होने और बलात्कार के आरोपों के चलते।
अगस्त 2016 में उनके खिलाफ आरोप लगाया गया कि उन्होंने सर्लाही के पठारकोट आश्रम में एक 15 वर्षीय लड़की के साथ दुष्कर्म किया और चुप रहने के लिए धमकाया। सर्लाही जिला अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इस फैसले को कानूनी त्रुटियों के चलते पलट दिया।
कोर्ट ने यह भी माना कि बमजन के खिलाफ दर्ज आरोपों में जिस बाल अधिनियम, 2018 को आधार बनाया गया था, उसे पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जा सकता।
फिलहाल, यह फैसला बमजन के अनुयायियों के लिए राहत की खबर है, लेकिन उन पर लगे अन्य गंभीर आरोपों की जांच अभी भी जारी है।