वाशिंगटन/नई दिल्ली/बीजिंग। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए ताजा टैरिफ के जवाब में चीन ने शुक्रवार को बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिका से आयातित सभी वस्तुओं पर 34 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है, जो 10 अप्रैल से लागू होगा। इस फैसले से वैश्विक बाजारों में भारी उथल-पुथल मच गई है और अमेरिका समेत भारत के शेयर बाजारों में भी जोरदार गिरावट देखी गई।
अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टैरिफ की घोषणा के बाद गुरुवार को वॉल स्ट्रीट में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज 1,400.87 अंक (3.32%) गिरकर 40,824.45 पर बंद हुआ। टेक सेक्टर पर असर साफ दिखा, जहां नैसडैक 903.44 अंक (5.13%) की गिरावट के साथ 16,697.60 पर और एसएंडपी 500 इंडेक्स 232.04 अंक (4.09%) टूटकर 5,439.73 पर बंद हुआ।
इस दौरान एप्पल के शेयरों में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आई, जिससे आईफोन की कीमतों में संभावित बढ़ोतरी की अटकलें लगाई जा रही हैं—कहा जा रहा है कि इनकी कीमत 1.97 लाख रुपये तक पहुंच सकती है।
भारतीय बाजारों में भी झटका
अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ युद्ध की आशंका ने भारतीय निवेशकों को भी चिंता में डाल दिया। बीएसई सेंसेक्स 930.67 अंक (1.22%) गिरकर 75,364.69 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 345.65 अंक (1.49%) की गिरावट के साथ 22,904.45 पर बंद हुआ। इस गिरावट से निवेशकों की संपत्ति में करीब 10.32 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है।
अमेरिकी नीतियों पर उठे सवाल
आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीति जल्दबाजी में बनाई गई है और इससे अमेरिका में मंदी का खतरा बढ़ गया है। स्टेलांटिस जैसी ऑटो कंपनियों ने अस्थायी छंटनियों की घोषणा की है, जबकि जनरल मोटर्स ने घरेलू उत्पादन बढ़ाने की बात कही है। विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ से आम अमेरिकी परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और महंगाई में उछाल आ सकता है।
चीन का तीखा जवाब
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के स्टेट काउंसिल टैरिफ कमीशन ने अमेरिका पर पलटवार करते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन का व्यवहार अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ है और यह चीन के वैध अधिकारों का उल्लंघन करता है। चीन ने यह भी कहा कि अमेरिका का यह कदम एकतरफा दबाव डालने की कोशिश है।
बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने पहले ही जनवरी से अब तक चीन से आने वाले सभी उत्पादों पर दो बार 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया था। हालिया फैसले के बाद अमेरिका में चीनी सामानों पर प्रभावी तौर पर कुल 54 प्रतिशत तक टैरिफ लग चुका है।
निष्कर्ष:
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता टैरिफ युद्ध अब वैश्विक व्यापार और बाजारों के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। इसका असर न केवल अमेरिका और चीन, बल्कि भारत जैसे उभरते बाजारों पर भी साफ नजर आ रहा है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हालात नहीं संभले, तो यह स्थिति वैश्विक मंदी को जन्म दे सकती है।