नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने भारतीय रेलवे की चार बड़ी मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को स्वीकृति दे दी है। इन परियोजनाओं की कुल लागत 18,658 करोड़ रुपये होगी और ये महाराष्ट्र, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के 15 जिलों में फैली होंगी। इनसे भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 1247 किलोमीटर की वृद्धि होगी।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को राष्ट्रीय मीडिया केंद्र (NMC) में प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि जिन परियोजनाओं को मंजूरी मिली है, उनमें शामिल हैं:
- संबलपुर-जरापड़ा तीसरी और चौथी लाइन
- झारसुगुड़ा-सासोन तीसरी और चौथी लाइन
- खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा पांचवीं और छठी लाइन
- गोंदिया-बल्हारशाह दोहरीकरण परियोजना
वैष्णव ने बताया कि ये परियोजनाएं पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अंतर्गत तैयार की गई हैं और इससे मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा। इनसे माल और यात्रियों की आवाजाही में सुविधा बढ़ेगी और रेल परिचालन अधिक प्रभावशाली तथा सुचारू हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई लाइन क्षमता से रेल नेटवर्क पर भीड़भाड़ में कमी, ट्रेनों की गति में सुधार और ऑपरेशनल एफिशिएंसी हासिल होगी। इन परियोजनाओं के तहत 19 नए स्टेशनों का निर्माण होगा, जिससे गढ़चिरौली और राजनांदगांव जैसे आकांक्षी जिलों को भी बेहतर रेल संपर्क मिलेगा। इससे करीब 3350 गांवों और 47.25 लाख लोगों को सीधा लाभ पहुंचेगा।
विशेष रूप से खरसिया-परमलकसा रेल परियोजना, जिसकी लागत 8,741 करोड़ रुपये है, छत्तीसगढ़ में रेल सेवाओं जैसे वंदे भारत, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की मांग को पूरा करेगी। इस प्रोजेक्ट में:
- 21 स्टेशन,
- 48 बड़े पुल,
- 349 छोटे पुल,
- 14 फ्लाईओवर,
- 184 अंडरपास,
- और 5 रेल फ्लाईओवर शामिल होंगे।
वैष्णव ने बताया कि इस नेटवर्क के जरिए बलौदा बाजार जैसे क्षेत्रों को सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे सीमेंट प्लांट्स और औद्योगिक इकाइयों की स्थापना को बल मिलेगा। यह परियोजना न केवल क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि रेलवे की सेवा क्षमता को भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ाएगी।