नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने की घोषणा के बाद वैश्विक बाजारों में हलचल मच गई है। इस कदम का असर भारतीय व्यापार और उद्योग पर न पड़े, इसे सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार सक्रिय रूप से रणनीति बना रही है।
टैरिफ प्रभाव की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम स्थापित
अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए भारत सरकार ने एक कंट्रोल रूम स्थापित किया है। इसमें विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात किया गया है, जो टैरिफ के संभावित प्रभावों का अध्ययन कर नुकसान को कम करने और संभावित लाभ उठाने के उपायों पर प्रस्ताव पेश करेंगे।
शुरुआती समीक्षा में यह संकेत मिला है कि कुछ सेक्टर्स को इस टैरिफ नीति से नुकसान हो सकता है, लेकिन कुछ क्षेत्रों को वैश्विक व्यापार के परिप्रेक्ष्य में फायदा भी हो सकता है। सरकार विभिन्न देशों पर लागू किए गए टैरिफ का व्यापक विश्लेषण कर रही है, ताकि यह आकलन किया जा सके कि भारतीय निर्यात किन सेक्टर्स में प्रभावित होगा।
अमेरिका की नई टैरिफ नीति और भारत पर प्रभाव
अमेरिका ने भारत समेत 180 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इस सूची में कई देशों पर भारत से भी अधिक टैरिफ लगाया गया है, जबकि कुछ देशों को 10% टैरिफ के दायरे में रखा गया है। आमतौर पर न्यूनतम 10% टैरिफ वाले देश, अमेरिकी उत्पादों पर भी समान टैरिफ लागू करते हैं।
भारत को टैरिफ में रियायत मिलने की संभावना
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अमेरिका से टैरिफ में कुछ राहत मिल सकती है। अमेरिका के टैरिफ ऑर्डर के क्लॉज 4 के तहत, यदि भारत सरकार कुछ चुनिंदा सेक्टर्स में अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ में छूट देती है, तो भारत पर लगाए गए टैरिफ में भी छूट मिलने की संभावना बढ़ सकती है।
सरकार फिलहाल सभी संभावनाओं का विश्लेषण कर रही है, ताकि टैरिफ के प्रभावों को न्यूनतम रखते हुए भारतीय उद्योगों के हितों की रक्षा की जा सके।