नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2025 को चर्चा के लिए प्रस्तुत किया। इससे पहले, लोकसभा ने बीती रात इन विधेयकों को पारित कर दिया था।
विधेयक पर चर्चा और सरकार का रुख
राज्यसभा में विधेयक पेश करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि इस पर तार्किक और सार्थक चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने इस विधेयक पर व्यापक काम किया है और देशभर के विभिन्न हितधारकों और धार्मिक संगठनों से सलाह-मशविरा करने के बाद इसे संसद में लाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि 284 संगठनों और एक करोड़ से अधिक लोगों ने इस पर अपने विचार प्रस्तुत किए, साथ ही राज्य सरकारों से भी परामर्श किया गया।
वक्फ संपत्तियों पर पारदर्शी प्रबंधन का जोर
रिजिजू ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन पूरी तरह से मुसलमानों के हाथ में रहेगा और इसमें गैर-मुस्लिमों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। मुतवल्ली (प्रबंधक) भी केवल मुस्लिम समुदाय से ही होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि वक्फ बोर्ड को पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी बनाने के लिए यह विधेयक लाया गया है, ताकि इन संपत्तियों का सही उपयोग हो सके और गरीब मुसलमानों को इसका वास्तविक लाभ मिले।
उन्होंने बताया कि संपत्तियों का डिजिटलीकरण किया जाएगा और एक सेंट्रल डेटा बेस बनाया जाएगा, जिससे वक्फ संपत्तियों की ऑनलाइन ट्रैकिंग संभव होगी। इससे इन संपत्तियों का सही ढंग से प्रबंधन किया जा सकेगा और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।
पूर्ववर्ती सरकारों के फैसलों पर सवाल
रिजिजू ने कांग्रेस सरकार के 1976 में गठित वक्फ इंक्वायरी कमीशन, 2006 की सच्चर कमेटी, और 2013 की के. रहमान खान कमेटी की सिफारिशों का जिक्र करते हुए कहा कि इन रिपोर्टों में वक्फ संपत्तियों को व्यवस्थित और पारदर्शी तरीके से प्रबंधित करने की आवश्यकता बताई गई थी।
उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यूपीए सरकार ने दिल्ली की 123 संपत्तियों को डिनोटिफाई कर दिया था, जो विवादास्पद फैसला था।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
- वक्फ संपत्ति का स्वामित्व प्रमाणित दस्तावेजों पर आधारित होगा – केवल मौखिक दावे स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
- अदालत में अपील का अधिकार – यदि पंचाट (ट्रिब्यूनल) में न्याय नहीं मिलता है, तो अब अदालत में अपील करने की अनुमति होगी।
- संविधान के अनुरूप प्रबंधन – अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों की भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा, जिससे आदिवासियों के अधिकार सुरक्षित रहेंगे।
- संपत्तियों का दुरुपयोग रोकने के उपाय – पुरातत्व और धरोहरों से जुड़ी वक्फ संपत्तियों की रक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
विधेयक से मुसलमानों को क्या लाभ मिलेगा?
रिजिजू ने कहा कि वक्फ बोर्ड को मजबूत और पारदर्शी बनाकर इसे मुसलमानों के हित में अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। अभी तक कहा जाता था कि डिफेंस और रेलवे के बाद भारत में सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है, लेकिन इसका लाभ आम मुसलमानों को नहीं मिल पाया। अब इस विधेयक के जरिए बेहतर प्रशासन और पारदर्शिता लाकर गरीब मुसलमानों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार लाने का लक्ष्य रखा गया है।
सदन में चर्चा और विपक्ष की प्रतिक्रिया
रिजिजू ने कहा कि इस विधेयक को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा करना सही नहीं है और उन्होंने सदस्यों से हंगामा करने के बजाय रचनात्मक सुझाव देने की अपील की। उन्होंने यह भी बताया कि कई धार्मिक संगठनों, गुरुद्वारों और चर्चों के प्रतिनिधियों ने इस विधेयक का समर्थन किया है और इसे पारित करने की अपील की है।
निष्कर्ष
विधेयक को राज्यसभा में पेश करते हुए रिजिजू ने इसे “उम्मीद” बिल करार दिया और कहा कि यह मुस्लिम समुदाय के सशक्तिकरण और उनके हितों की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने आशा जताई कि इस विधेयक के पारित होने से वक्फ संपत्तियों का अधिक कुशल प्रबंधन होगा, पारदर्शिता बढ़ेगी और इसका लाभ समाज के जरूरतमंद तबकों को मिलेगा।