नई दिल्ली। राज्यसभा के स्थापना दिवस के अवसर पर सभापति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को सदन के सदस्यों को शुभकामनाएं दीं। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही अपने संबोधन में उन्होंने सदस्यों का अभिनंदन किया और राज्यसभा को हमारे संसदीय लोकतंत्र का प्रतिष्ठित उच्च सदन— ज्येष्ठों का सदन— बताया।
सभापति धनखड़ ने कहा कि भारत की संघीय संरचना में राज्यसभा एक महत्वपूर्ण संस्थान है, जो व्यापक प्रतिनिधित्व, सुशासन में संतुलन और चिंतनशील बुद्धिमत्ता को सुनिश्चित करता है। यह मंच विभिन्न प्रांतीय दृष्टिकोणों और विशेषज्ञताओं को एकत्रित कर राष्ट्रीय नीति-निर्माण को समृद्ध करता है।
उन्होंने संसद को देश का “ध्रुवतारा” बताते हुए कहा कि यह राष्ट्र को कठिन परिस्थितियों में मार्गदर्शन प्रदान करता है और चुनौतियों के समय दिशासूचक प्रकाश के रूप में कार्य करता है। उन्होंने इस अवसर को राज्यसभा की विशेषताओं को संरक्षित और सशक्त करने की प्रेरणा लेने का अवसर बताया, जिसकी निरंतरता लोकसभा से भिन्न और चिरस्थायी है।
सभापति ने राज्यसभा की गरिमा और सदस्यों की विद्वता को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि सभी सदस्यों को उत्कृष्ट आचरण का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि सदन में उत्कृष्टता, निष्ठा, गहरी विद्वता, बौद्धिक संवाद और ज्ञान-विस्तार को बढ़ावा देने वाली चर्चाएं होनी चाहिए।