नई दिल्ली/मुंबई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को कहा कि ‘विकसित भारत 2047’ के मिशन के लिए एक नवोन्मेषी, अनुकूलनीय और सुलभ वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल भुगतान में भारत को वैश्विक अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मुंबई में आरबीआई की 90वीं वर्षगांठ के समापन कार्यक्रम में राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि केंद्रीय बैंक के रूप में आरबीआई भारत के अभूतपूर्व विकास की यात्रा में केंद्र बिंदु है। उन्होंने आरबीआई की पिछले 90 वर्षों की यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य के लिए सुलभ वित्तीय तंत्र महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आरबीआई, जो मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता का प्रहरी है, इस यात्रा में अहम भूमिका निभाएगा, जिसमें एक मजबूत बैंकिंग प्रणाली सुनिश्चित करना, वित्तीय नवाचार को बढ़ावा देना और वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में विश्वास की रक्षा करना शामिल है। उन्होंने कहा कि आरबीआई न केवल बदलते समय के साथ विकसित हुआ है, बल्कि भारत के वित्तीय परिवर्तन का प्रमुख भागीदार भी रहा है। मुद्रास्फीति पर नियंत्रण, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना, मौद्रिक स्थिरता बनाए रखना और मजबूत आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना, इनमें आरबीआई की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि तेजी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकी के साथ वित्तीय धोखाधड़ी और साइबर खतरों का जोखिम बढ़ा है, जिसके लिए सतर्कता जरूरी है। इसके तहत आरबीआई सुरक्षा उपायों को मजबूत करने और सुरक्षित बैंकिंग वातावरण सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है।
राष्ट्रपति ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में आरबीआई ने नाबार्ड, आईडीबीआई, सिडबी और राष्ट्रीय आवास बैंक जैसी प्रमुख संस्थाओं की स्थापना करके देश की वित्तीय प्रणाली को सुदृढ़ किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक देश के सबसे महत्वपूर्ण संस्थानों में से एक के रूप में उभरा है। हालांकि आम नागरिक का आरबीआई से सीधा संपर्क नहीं होता, लेकिन उनके सभी वित्तीय लेन-देन अप्रत्यक्ष रूप से आरबीआई द्वारा नियंत्रित होते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आरबीआई की सबसे बड़ी उपलब्धि यह भरोसा है, जो उसने पिछले नौ दशकों में अर्जित किया है। 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण से लेकर कोरोना महामारी तक आरबीआई की त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रियाओं ने भारत की वित्तीय प्रणाली को वैश्विक संकटों से बचाए रखा।