नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व जल दिवस के अवसर पर जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पानी सभ्यताओं की जीवनरेखा रहा है और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा, “विश्व जल दिवस पर हम जल संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। जल हमारी सभ्यता का आधार है, इसलिए इसे सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है।”
इस वर्ष की थीम – ग्लेशियर संरक्षण
गौरतलब है कि 2025 के विश्व जल दिवस की थीम ग्लेशियर संरक्षण रखी गई है। ग्लेशियर स्वच्छ जल के महत्वपूर्ण स्रोत हैं और यह पीने के पानी, कृषि और नदियों को जल प्रदान करते हैं। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे भविष्य में पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है।
रियो डी जनेरियो सम्मेलन से हुई शुरुआत
विश्व जल दिवस मनाने की पहल 1992 में संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में हुए रियो डी जनेरियो पृथ्वी सम्मेलन में हुई थी। इस सम्मेलन में जल संरक्षण को लेकर वैश्विक जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की गई थी। इसके बाद, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर 1992 को एक प्रस्ताव पारित कर हर वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाने का निर्णय लिया।
धरती पर मात्र 2.5% स्वच्छ जल उपलब्ध
धरती का लगभग 71% भाग पानी से ढका हुआ है, लेकिन इसमें से 97.5% पानी खारा है, जो समुद्रों में पाया जाता है और दैनिक उपयोग के योग्य नहीं है। मात्र 2.5% पानी ही स्वच्छ है, जो मानव उपयोग के लिए उपलब्ध है। प्रदूषण, जल अपव्यय और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों के कारण यह संसाधन लगातार कम हो रहा है, जिससे जल संरक्षण की आवश्यकता और भी अधिक बढ़ जाती है।