नई दिल्ली। भारत की कंपनियां आने वाले दशक में वैश्विक आर्थिक मंच पर अपनी मौजूदगी और प्रभाव को कई गुना बढ़ा सकती हैं। PwC इंडिया की ताज़ा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय कंपनियों का ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) यानी सकल मूल्य वर्धन, वर्ष 2035 तक 9.82 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। यह आंकड़ा भारत को वैश्विक आर्थिक ताकतों की कतार में लाकर खड़ा कर सकता है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, इस आर्थिक छलांग में सबसे अहम भूमिका ‘मेक’ डोमेन की होगी, जिसमें मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग और औद्योगिक उत्पादन शामिल हैं। वर्ष 2023 में 945 अरब डॉलर का योगदान देने वाला यह क्षेत्र 2035 तक 2.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
PwC की रिपोर्ट ‘Navigating the Value Shift’ के अनुसार, जलवायु परिवर्तन, जनसांख्यिकीय बदलाव और तकनीकी विकास जैसे बड़े वैश्विक ट्रेंड अब पारंपरिक उद्योग सीमाओं को तोड़ते हुए व्यवसायों के लिए नए अवसर पैदा कर रहे हैं। यही वजह है कि कंपनियां पारंपरिक सोच से बाहर निकलकर नए क्षेत्रों में कदम रख रही हैं।
रिपोर्ट बताती है कि इस तेजी से बदलते कारोबारी परिदृश्य का लाभ उठाने के लिए केवल विविधीकरण ही काफी नहीं है। कंपनियों को यह समझने की ज़रूरत है कि किस दिशा में और कैसे विस्तार करना है। इसी के लिए PwC ने एक डोमेन-आधारित रणनीतिक फ्रेमवर्क विकसित किया है, जो कंपनियों को यह तय करने में मदद करेगा कि कहां सबसे ज़्यादा मूल्य सृजन की संभावना है।
डोमेन यानी ऐसे बाज़ार, जो पारंपरिक सेक्टर की सीमाओं से आगे निकलकर मानव और औद्योगिक ज़रूरतों को केंद्र में रखते हैं। PwC इंडिया के चेयरमैन संजीव कृष्णा ने बताया कि भारत के कई सीईओ पहले ही इस बदलाव की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं। PwC के 28वें ‘Annual Global CEO Survey: India Perspective’ के अनुसार, 40% भारतीय सीईओ ने स्वीकार किया कि उनकी कंपनियों ने पिछले पांच सालों में कम से कम एक नया डोमेन अपनाया है, जिनमें से आधे से अधिक ने वहां से अपने कुल राजस्व का 20% तक अर्जित किया है।
हालांकि संजीव कृष्णा का मानना है कि अब समय आ गया है कि कंपनियां सिर्फ सेक्टर-आधारित रणनीति तक सीमित न रहें, बल्कि डोमेन-आधारित सोच को अपनाएं। इससे न केवल उनकी क्षमताएं नए सिरे से परिभाषित होंगी, बल्कि वे सहयोगात्मक इकोसिस्टम बनाते हुए फ्यूचर-रेडी बिजनेस मॉडल भी तैयार कर सकेंगी।
2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था के 30 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में डोमेन-बेस्ड इनोवेशन न केवल आर्थिक विकास को गति देगा, बल्कि भारत को एक समावेशी, टिकाऊ और तकनीकी रूप से सशक्त राष्ट्र बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।