हिंद महासागर क्षेत्र में संपन्न हुआ तीनों सेनाओं का समुद्री अभ्यास ‘ट्रोपेक्स’

नई दिल्ली। हिंद महासागर क्षेत्र में पिछले तीन महीनों से चल रहा भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना का संयुक्त समुद्री अभ्यास ‘ट्रोपेक्स’ सफलतापूर्वक समाप्त हो गया। इस द्विवार्षिक अभ्यास में युद्ध संचालन, प्रत्यक्ष हथियार फायरिंग, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया। इसमें नौसेना, थलसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल के जहाजों, विमानों और हथियार प्रणालियों ने हिस्सा लिया।

नौसेना के थिएटर-स्तरीय ऑपरेशनल अभ्यास की व्यापकता

‘ट्रोपेक्स’ की शुरुआत जनवरी 2024 में हुई थी और यह मार्च की शुरुआत में संपन्न हुआ। यह अभ्यास भारतीय नौसेना के संचालन क्षमताओं और रणनीतिक अवधारणाओं को परखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा। इसका प्रमुख उद्देश्य समुद्री सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए समन्वित और एकीकृत प्रयासों को मजबूत करना था।

इसका संचालन क्षेत्र उत्तर से दक्षिण तक 35 डिग्री दक्षिण अक्षांश तक लगभग 4300 समुद्री मील और पश्चिम में होर्मुज जलडमरूमध्य से लेकर पूर्व में सुंडा और लोम्बोक जलडमरूमध्य तक 5000 समुद्री मील तक फैला हुआ था। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में फैले इस अभ्यास ने हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना की रणनीतिक तैयारियों को परखने का अवसर दिया।

अभ्यास में भारतीय सेनाओं की भागीदारी

नौसेना के मुताबिक, इस अभ्यास में शामिल हुए:

  • 65-70 भारतीय नौसेना के युद्धपोत
  • 9-10 पनडुब्बियां
  • 80 से अधिक विभिन्न प्रकार के सैन्य विमान
  • भारतीय वायुसेना के सुखोई-30, जगुआर, सी-130, फ्लाइट रिफ्यूलर और अवाक्स विमान
  • 600 से अधिक पैदल सेना के सैनिक
  • 10 से अधिक तटरक्षक जहाज

युद्ध तैयारियों का आकलन और परीक्षण

‘ट्रोपेक्स’ के दौरान नौसेना की परिचालन तैयारियों और युद्ध क्षमता का मूल्यांकन किया गया। विभिन्न चरणों में संपन्न इस अभ्यास में बंदरगाह और समुद्र में युद्ध संचालन की रणनीतियों को परखा गया। इस बार का अभ्यास पहले की तुलना में अधिक जटिल और विस्तृत था, जिससे भारतीय सेनाओं को बहु-खतरे वाले वातावरण में समन्वय और संयुक्त अभियान चलाने की क्षमता को परखने का अवसर मिला।

इस सैन्य अभ्यास ने भारतीय थलसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल के साथ संयुक्त अभियानों को और मजबूत किया। 23 जनवरी से शुरू हुए इस गहन अभ्यास का समापन आज हुआ, जिसमें भारतीय नौसेना ने अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया – “युद्ध के लिए तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य के लिए सक्षम बल”।

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