वॉशिंगटन/कैम्ब्रिज। अमेरिका की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी एक बार फिर सुर्खियों में है—इस बार कारण बना है अमेरिकी सरकार का एक कड़ा कदम। होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (डीएचएस) ने हार्वर्ड का स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) सर्टिफिकेशन रद्द कर दिया है, जिससे विदेशी छात्रों के लिए विश्वविद्यालय के दरवाज़े बंद हो सकते हैं। अब इन छात्रों को या तो किसी अन्य विश्वविद्यालय में स्थानांतरित होना होगा या फिर अमेरिका से लौटना पड़ेगा।
इस फैसले के पीछे जो वजहें बताई गई हैं, वो और भी चौंकाने वाली हैं। डीएचएस ने हार्वर्ड पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से मिलीभगत, यहूदी विरोध, आतंकवाद के समर्थन और हिंसा को बढ़ावा देने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। विभाग के मुताबिक, जब 16 अप्रैल 2025 को सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड से विदेशी छात्रों से जुड़ी अनुशासनात्मक रिपोर्ट मांगी, और हार्वर्ड ने इसे साझा करने से इनकार किया, तो सर्टिफिकेशन रद्द कर दिया गया।
यही नहीं, इससे पहले अप्रैल में डीएचएस ने हार्वर्ड को दिए गए 2.7 मिलियन डॉलर (करीब 22.5 करोड़ रुपये) के अनुदान को भी निरस्त कर दिया था।
हार्वर्ड ने जताई सख्त आपत्ति
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे “गैरकानूनी और प्रतिशोधात्मक” करार देते हुए कहा है कि यह कदम शैक्षणिक स्वतंत्रता, छात्रों के भविष्य और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर सीधा हमला है।
बयान में कहा गया, “हम 140 से अधिक देशों के छात्रों और विद्वानों के साथ अपने जुड़ाव को लेकर प्रतिबद्ध हैं। डीएचएस का यह कदम अमेरिकी कानून और शैक्षणिक स्वतंत्रता दोनों का उल्लंघन है, जिसे अदालत में चुनौती दी जाएगी।”
यह घटना न केवल अमेरिका की शिक्षा नीति पर सवाल खड़े कर रही है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए भी अनिश्चितता और असमंजस की स्थिति पैदा कर रही है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर कानूनी लड़ाई और कूटनीतिक बहस की पूरी संभावना है।